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विधियाँ ।
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उस का कोई एक वस्त्र पडिलेहे । पीछे — इच्छामि०, इच्छा० उपधि मुहपत्ति पडिलेहुं ? इच्छं कह कर मुहपत्ति पडिलेह कर 'इच्छामि०, इच्छा० सज्झाय करूं ? इच्छं कह एक नवकारपूर्वक मन्नह जिणाणं की सज्झाय करे । पीछे खाया हो तो द्वादशावर्तबन्दना दे कर पाणहार का पच्चक्खाण करे।
यदि तिविहाहार उपवास किया हो तो 'इच्छामि० 'इच्छकारि भगवन् पसायकरी पच्चवखाण का आदेश दीजिए जी' ऐसा कह कर पाणहार का पच्चक्खाण करें। पीछे 'इच्छामि ०, इच्छा० उपधि संदिसाहुं ? इच्छं; इच्छामि० इच्छा०, उपधि पडिलेहुं ? इच्छं' कह कर बाकी के सब वस्त्रों की पडिलेहणा करे । रात्रि-पोसह करने वाला पहले कम्बल (बिछौने का आसन) पडिलेहे । पीछे पूर्वोक्त विधि से देव-वन्दन करे ।।
बाद पडिक्कमण का समय होने पर पडिक्कमण करे । इरियावहिय पडिक्कम के चैत्य-वन्दन करे, जिस में सात लाख और अठारह पापस्थान के ठिकाने 'गमणागमणे' और 'करेमि भंते' में 'जाव नियम के ठिकाने 'जाव पोसहं' कहे ।
यदि दिन का ही पौषध हो तो पडिक्कम किये बाद नीचे लिखी विधि से पौषध पारे ।
१-चूउव्विहाहार-उपवास किया हो तो इस वक्त पच्चक्खाण करने की जरूरत नहीं है; परन्तु सुबह तिविहाहार का पच्चक्खाण किया हो और पानी न पिया हो तो इस वक्त चउब्विहाहार-उपवास का पच्चक्खाण करे।