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प्रतिक्रमण सूत्र । ___(१) अङ्गार कर्म-कुम्हार, चूना पकाने वाले और भड़
जे आदि के काम, जिनमें कोयला आदि इन्धन जलाने की खूब जरूरत पड़ती हो, (२) वन कर्म----बड़े बड़े जंगल खरीदने का तथा काटने आदि का काम, (३) शकट कर्म-इक्का बग्घी, बैल आदि भाँति भाँति के वाहनों को खरीदने तथा बेचने का धंधा करना, (४) भाटक कर्म-घोड़े, ऊँट, बैल आदि को किराये पर दे कर रोजगार चलाना, (५) स्फोटक कर्म---कुँआ, तालाब आदि को खोदने खुदवाने का व्यवसाय करना, (६) दन्त वाणिज्य-हाथी-दाँत, सीप, मोती आदि का व्यापार करना, (७) लाक्षा वाणिज्य-लाख, गोंद आदि का व्यापार करना, (८) रस वाणिज्य- घी, दूध आदिका व्यापार करना, (२.) केश वाणिज्य-मोर, तोते आदि पक्षियों का, उनके पंखों का और चमरी गाय आदि के बालों का व्यापार चलाना, (१०) विष वाणिज्य--अफीम, संखिया आदि विषैले पदार्थों का व्यापार करना, (११) यन्त्रपीलन कर्म-चक्की, चरखा, कोल्हू आदि चलाने का धंधा करना, (१२) निर्लाञ्छन कर्म-ऊँट, बैल आदि की नाक को छेदना या भेड़, बकरी आदि के कान को चीरना, (१३) दवदान कर्म-जंगल, गाँव, गृह आदि में आग लगाना (१४) शोषण कर्म-झील, हौज, तालाब आदि को सुखाना और (१५) असतीपोषण कर्म-बिल्ली, न्यौला आदि हिंसक प्राणियों का पालन तथा दुराचारी मनुष्यों का पोषण करना ॥२०-२३॥