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________________ उ० ४ मासियमुग्धाइयं] सुत्तागमे ॥ २०७॥ जे भिक्खू रायं अत्थीकरेइ अत्थीकरेंतं वा साइजइ ॥ २०८ ॥ जे भिक्खू रायारक्खियं अत्थीकरेइ अत्थीकरेंतं वा साइज्जइ ॥ २०९ ॥ जे भिक्खु णगरारक्खियं अत्थीकरेइ अत्थीकरेंतं वा साइज्जइ ॥ २१० ॥ जे भिक्खू णिगमारक्खियं अत्थीकरेइ अत्थीकरेंतं वा साइजइ ॥ २११ ॥ जे भिक्खू देसारक्खियं अत्थीकरेइ अत्थीकरेंतं वा साइज्जइ ॥ २१२ ॥ जे भिक्खू सव्वारक्खियं अत्थीकरेइ अत्थीकरेंतं वा साइजइ ॥ २१३ ॥ जे भिक्खू कसिणाओ ओसहीओ आहारेइ आहारेंतं वा साइजइ ॥ २१४ ॥ जे भिक्खू आयरिएहिं अदिण्णं आहारेइ आहारेंतं वा साइजइ ॥ २१५ ॥ जे भिक्खू आयरियोवज्झाएहिं अविदिण्णं विगई आहारेइ आहारेंतं वा साइजइ ॥ २१६ ॥ जे भिक्खू ठवणाकुलाई अजाणिय अपुच्छिय अगवेसिय पुव्वामेव पिंडवायपडियाए अणुप्पविसइ अणुप्पविसंतं वा साइज्जइ ॥ २१७ ॥ जे भिक्खू णिग्गंथीणं उवस्सयंसि अविहीए अणुप्पविसइ अणुप्पविसंतं वा साइजइ ॥ २१८ ॥ जे भिक्खू णिग्गंधीणं आगमणपहंसि दंडगं वा रयहरणं वा मुहपोत्तियं वा अण्णयरं वा उवगरणजायं ठवेइ ठवेंतं वा साइजइ ॥ २१९ ॥ जे भिक्खू णवाई अणुप्पण्णाई अहिगरणाई उप्पाएइ उप्पाएंतं वा साइजइ ॥ २२० ॥ जे भिक्खू पोराणाई अहिगरणाई खामिय विओसवियाई पुणो उदीरेइ उदीरेंतं वा साइजइ ॥ २२१ ॥ जे भिक्खू मुहं विप्फालिय हसइ हसंतं वा साइजइ ॥ २२२॥ जे भिक्खू पासत्थस्स संघाडयं देइ देंतं वा साइजइ ॥ २२३ ॥ जे भिक्खू पासत्थस्स संघाडयं पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइजइ ॥ २२४ ॥ जे भिक्खू ओसण्णस्स संघाडयं देइ देंतं वा साइजइ ॥ २२५ ॥ जे भिक्खू ओसण्णस्स संघाडयं पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइज्जइ ॥ २२६ ॥ जे भिक्खू कुसीलस्स संघाडयं देइ देंतं वा साइजइ ॥ २२७ ॥ जे भिक्खू कुसीलस्स संघाडयं पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइजइ ॥ २२८ ॥ जे भिक्खू नितियस्स संघाडयं देइ देंतं वा साइजइ ॥ २२९ ॥ जे भिक्खू नितियस्स संघाडयं पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइजइ ॥ २३० ॥ जे भिक्खु संसत्तस्स संघाडयं देइ देंतं वा साइज्जइ ॥ २३१ ॥ जे भिक्खू संसत्तस्स संघाडयं पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइजइ ॥ २३२ ॥ जे भिक्खू उदओल्लेण वा ससिणिर्तण वा हत्थेण वा दव्वीए वा भायणेण वा असणं वा ४ पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइजइ ॥ २३३ ॥ जे भिक्खू ससरक्खेण वा मट्टियासंसटेण वा ऊसासंसटेण वा लोणियसंसटेण वा हरियालसंसट्टेण वा मणोसिलसंसटेण वा लोद्धसंसटेण वा गेरुयसंसटेण वा सेढियसंसटेण वा हिंगुलसंसट्टेण वा अंजणसंसटेण वा कुक्कुससंसट्टेण वा पिट्ठसंसटेण वा कंतवसंसढेण वा कंदमूलसंसट्टेण वा सिंगवेरसंसट्टेण वा पुप्फसंसटेण
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
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