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उ० ६ पाणाइकड्डू० ]
कम्पइ निग्गन्थीणं दारुदण्डयं पायपुञ्छणं धारेत्तए वा परिहरितए वा ॥ १८४ ॥ कप्पइ निग्गन्थाणं दारुदण्डयं पायपुञ्छणं धारेत्तए वा परिहरितए वा ॥ १८५ ॥ नो कम्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा पारियासि (ए भोयणजाए ) यस्स आहारस्स जावत (इ) यप्पमाणमेत्तमवि भूइप्पमाणमेत्तमवि बिन्दुप्पमाणमेत्तमवि आहारमाहारेत्तए, नन्नत्थ आ(गाढा)गाढे (सु) हिं रोगायङ्केहिं ॥ १८६ ॥ नो कप्पर निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा पारियासिएणं आलेवणजाएणं गा (यं ) याई आलिम्पित्तए वा विलिम्पित्तए वा, नन्नत्थ आगाढेहिं रोगायङ्केहिं ॥ १८७ ॥ नो कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा पारियासिएणं तेल्लेण वा घएण वा गायाई अब्भङ्गेत्तए वा म ( क्खि ) खेत्तए वा नन्नत्थ आगाढेहिं रोगायङ्केहिं ॥ १८८ ॥ नो कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा कक्केण वा लोद्धेण वा अन्नयरेण वा आलेवणजाएणं गाया उवत्तए वा उव्वट्टित्तए वा, नन्नत्थ आगाढेहिं रोगायङ्केहिं ॥ १८९ ॥ परिहार कप्पट्ठिए णं भिक्खू बहिया थेराणं वेयावडियाए गच्छेजा, से य आह अइकमेज्जा, तं च थेरा जाणेज अप्पणो आगमेणं अन्नेसिं वा अन्तिए सोच्चा, तओ पच्छा तस्स अहालहुसए नाम ववहारे पट्टवियव्वे सिया ॥ १९० ॥ निग्गन्थीए य गाहावइकुलं पिण्डवायपडियाए अणुप्पविट्ठाए अन्नयरे पुलागभत्ते पडिग्गाहिए सिया, साय संथरेजा, एवं से कप्पर (तं दिवसं) तेणेव भत्तद्वेणं पज्जोसवेत्तए; सायनो संथरे, एवं से कप्पइ दोच्चं पि गाहावइकुलं (पिण्डवायपडियाए अ० ) भत्ता वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥ १९१ ॥ ति-बेमि ॥ विकप्पे पञ्चमो उद्देसओ समत्तो ॥ ५ ॥
छट्टो उद्देसओ
ग
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नो कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा इमाई छ अव ( यणा) त्तव्वाई वइत्तए, तं जहा - अलियवयणे हीलियवयणे खिंसियवयणे फरुसवयणे गारत्थियवयणे, वि ( उ ) - ओसवियं वा पुणो उदी (रि) रेत ॥ १९२ ॥ छ कप्परस पत्थारा पन्नत्ता, तंजहापाणाइवायरस वायं वयमाणे, मुसावायस्स वायं वयमाणे, अदिन्नादाणस्स वायं वयमाणे, अविरइ (य) यावायं वयमाणे, अपुरिसवायं वयमाणे, दासवायं वयमाणे, इच्चेए कप्पस्स छप्पत्थारे पत्थरेत्ता सम्मं अप्पडिपूरेमाणे तट्ठाणपत्ते सिया ॥ १९३॥ निग्गन्थस्स य अहे पायंसि खा (णू ) णुए वा क ( णू ) ण्टए वा ही (सक्क) रे वा परियावज्जेज्जा, तं च निग्गन्थे नो संचाएइ नीहरितए वा विसोहेत्तए वा, तं (च) निग्गन्थी नीहरमाणी वा विसोहेमाणी वा नाइकमइ ॥ १९४ ॥ निग्गन्थस्स य
१ नीरसे भोयणे ।