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सुत्तागमे
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सिया ( अहालंदमवि उग्गहे ) ॥ १०६ ॥ से अणुकुड्डेसु वा अणुभित्तीसु वा अणुचरियासु वा अणुफरिहासु वा अणुपन्थेसु वा अणुमेरासु वा सच्चेव ओग्गहस्स पुव्वाणु - नवणा चिट्ठर अहालन्दमवि ओग्गहे ॥ १०७ ॥ से गा ( मस्स) मंसि वा जाव (रायहाणीए ) संनिवेसंसि वा बहिया सेणं संनिविद्धं पेहाए कप्पर निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा तद्दिवसं भिक्खायरियाए गन्तूणं पडि (ए) नियत्तए, नो से कप्पइ ( सा रयणी) तं रयणिं तत्थेव उवा (य) इणा (वि) वेत्तए, जे खलु निग्गन्थे वा निग्गन्थी वा तं रयणिं तत्थेव उवाइणावेइ उवाइणावेन्तं वा साइज्जइ, से दुहओ वीइक्कममाणे आवज्जइ चाउमा सियं परिहारट्ठाणं अणुग्धाइयं ॥ १०८ ॥ से गामंसि वा जाव संनिवेसंसि वा कम्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा सव्वओ समन्ता सकोसं atri ओग्गहं ओगिव्हित्ताणं परिहारं परिहरि ( चिट्ठि) तए ॥ १०९ ॥ त्ति - बेमि ॥ बिहकप्पे तइओ उद्देसओ समत्तो ॥ ३ ॥
चउत्थो उद्देसओ
तओ अणुग्घाइ (मा)या पन्नत्ता, तंजहा - हत्थकम्मं करेमाणे, मेहुणं पडिसेवमाणे, राईभोयणं भुञ्जमा ॥ ११० ॥ तओ पारञ्चिया पन्नत्ता, तंजहा दुट्ठे पारञ्चिए, पत्ते पारञ्चिए, अन्नमन्नं करेमाणे पारञ्चि ॥ १११ ॥ तओ अणवटुप्पा पन्नत्ता, तं जहा- साहम्मि (य) याणं ते (णियं ) न्नं करेमाणे, अन्नध ( पर - ह ) म्मि (य) याणं तेन्नं करेमाणे, हत्(थता ) थायालं दलमाणे ॥ ११२ ॥ तओ नो कम्पन्ति पव्वावेत्तए, तंजा-पण्डए कीवे वा (हि) इए, एवं मुण्डावेत्तए सिक्खावेत्तए उवडावेत्तए संभुञ्जित्तए सं(वा) वसित्तए॥ ११३ ॥ तओ नो कप्पन्ति वा (इ) एत्तए, तंजहा - अविणीए विगई'पडिबद्धे अविओसवियपाहुडे ॥ ११४ ॥ तओ कम्पन्ति वात्तए, तंजहा - विणीए नो विगईपडिबद्धे विओसवियपाहुडे ॥ ११५ ॥ तओ दुस्सन्नप्पा पन्नत्ता, तंजहादुट्ठे मूढे वुग्गाहिए ॥११६ - १॥ तओ सुरसन्नप्पा पन्नत्ता, तंजहा - अदुट्ठे अमूढे अबुग्गाहिए ॥११६-२॥ निग्गन्थिं च णं गिलायमाणिं माया वा भगिणी वा धूया ( पिया वा भाया वा पुत्ते) वा पलिस्सएज्जा, तं च निग्गन ( थी ) थे साइज (जइ) जेज्जा, मेहुणपडिसेवण (त्ता) ते आवज्जइ चाउम्मा सियं परिहारद्वाणं अणुग्धाइयं ॥ ११७ ॥ निग्गन्थं च णं गिलायमाणं पिया वा भाया वा पुत्ते वा ( माया वा भगिणी वा धूया वा) पलिस्सएजा, तं च निग्ग ( थे ) थी साइजेजा, मेहुणपडिसेवण प (ते) त्ता आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारट्ठाणं अणुग्धाइयं ॥ ११८ ॥ नो कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा असणं वा ४ पढमाए पो (रि-र ) रुसीए पडिग्गाहेत्ता (चउ-त्थं तिथ) पच्छिमं पोरुसिं उवाइणावेत्तए, से य आहच उवाइणाविए सिया, तं नो अप्पणा भुजेज्जा नो अन्नेसिं