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अतिशय, अत्थि है, अदु अदुत्तरं इसके पीछे, अदुवा अथवा, अहो नीचे, अभि= सन्मुख, अभिक्खणं २=बार वार, अलं-पर्याप्त, अवि-भी, असई-बार २, अहावरं इसके पश्चात् , आ मर्यादा-अभिविधि, इइ इति इय इस प्रकार-समाप्त, इव समान, ईसि ईसिं-थोड़ा, उदाहु-पक्षान्तर, उपरि उप्पिं उवरि-ऊपर, उस्सणं प्रायः, एव=ही, एवं इस प्रकार, एवमाइ-इत्यादि, एवामेव इसी प्रकार, किं-क्या, किण्णं-जिज्ञासार्थ, किर किल=निश्चयार्थ, कीस किस लिए, कु-खराब, खलु=3 निश्चय, खिप्पं शीघ्र, च च-समुच्चयार्थक, चे(चेत् )-संभावनार्थ, जइ-यदि, जाव-जब तक, ताव तब तक, जुगवं-एकदम, झत्ति-झटपट, ण नहीं, = वाक्यालंकार, णवरं णवरि केवल, णहु निषेधार्थ, णाणा=अनेक, णु-प्रश्नवाचक, णूणं-निश्चयपूर्वक, णो नहीं, ति त्ति इस प्रकार और समाप्ति अर्थ, तु=समुच्चयार्थ, थ-वाक्यालंकार, दिया-दिन, दुहु-खराब, दूरा-दूर, धणियं-अतिशय, धिद्धि धिर=धिकारार्थ, नणु शंकार्थ, नमो नमस्कार, पच्छा-पीछे, पभिइ-प्रभृति, पाओ= प्रातः, पायं प्रायः, पि=भी, पिव-इव, पुढो-पृथक्, पुण पुणो पुनः, पुरा पहले
और आगे, पुरत्था पुरच्छा पुरे आगे, वहिं वाहि-वाहर, भंते ! पूज्यसंबोधन, भिसं अतिशय, भुज्जो २=बार २, भे भो ! संवोधन, मिव-इव, मिहो-परस्पर, मुसा-असत्य, मुहाव्यर्थ, मुहं २-बार २, य-च, रह रहो-एकान्त, राओरातमें, विभी, विव व्व इव, सई-एक बार, संपइ संपयं-अव, सक्खं साक्षात्, समंताचारों ओर, सणियं २-धीरे २, सद्धिं समं साथ, सयं-स्वयं, सययं निरंतर, सायं-संध्या, सुइरे-चिरकाल, सुए आनेवाली कल, सुटु= अच्छा, सेवं=ऐसा ही है, हंता स्वीकार, हंदि हं भो आमंत्रण, हणि २ प्रतिदिन, हद्धि-खेदार्थक, हव्वं शीघ्र, हिजो बीता हुआ कल, हुरत्था बहिर्देश, हे-संबोधन, हेढा=नीचे, हे हो आमंत्रणार्थ।
(२) उपसर्गोंकी गणना भी अव्ययमें ही है। (३) तद्धितान्त अव्यय
सब्वावंति सब, केइ-कोई, केणइ-किसीके द्वारा, कोइ-कोई, इह-यहां, कयाई कयाई-कभी, कस्सई-किसीका, दुक्खुत्तो-दो बार, तिक्वुत्तो-तीन बार, कहिंचि%3D कहीं, इण्हि इदाणिं इयाणि अब, कया-कब, सया-सदा, जओ-जिससे, एत्थ इत्थ-यहां, कत्थ-कहां, जत्थ-जहां, तत्थ-वहां, इत्थं इस प्रकार, जया-जब, तया-तब, एकसि एक बार, कमसो क्रमशः, बहुसो बहुशः, दवदवस्स-जल्दी २, तहा तथा, कहि-कहां, जहिं-जहां, तर्हि वहां, अहुणा अब । .. ..