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सुत्तागमे
[जंबुद्दीवपण्णत्ती
उवागच्छइ २ त्ता हाए सुद्धप्पावेसाई मंगलाई वत्थाई पवरपरिहिए अप्पमहग्याभरणालंकियसरीरे मजणघराओ पडिणिक्खमइ २ ता जेणेव भोयणमंडवे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता भोयणमंडवंसि सुहासणवरगए अट्ठमभत्तं परियादियइ जाव सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे णिसीयइ २ त्ता अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ सद्दावेइ २ त्ता जाव अट्ठाहियाए महामहिमाए तमाणत्तियं पञ्चप्पिणंति ॥५०॥ तए णं से दिव्वे चक्करयणे सिंधूए देवीए अट्ठाहियाए महामहिमाए णिव्वत्ताए समाणीए आउहघरसालाओ तहेव जाव उत्तरपुरच्छिमं दिसिं वेयड्ढपव्वयाभिमुहे पयाए यावि होत्था, तए णं से भरहे राया जाव जेणेव वेयड्ढपव्वए जेणेव वेयड्डस्स पव्वयस्स दाहिणिल्ले णियंबे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता वेयड्डस्स पव्वयस्स दाहिणिल्ले णियंबे दुवालसजोयणायामं णवजोयणविच्छिण्णं वरणगरसरिच्छं विजयखंधावारणिवेसं करेइ २ ता जाव वेयड्डगिरिकुमारस्स देवस्स अट्ठमभत्तं पगिण्हइ २ त्ता पोसहसालाए जाव अट्ठमभत्तिए वेयडगिरिकुमारं देवं मणसि करेमाणे २ चिट्ठइ, तए णं तस्स भरहस्स रण्णो अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि वेयवगिरिकुमारस्स देवस्स आसणं चलइ, एवं सिंधुगमो णेयव्वो पीइदाणं आभिसेकं रयणालंकारं कडगाणि य तुडियाणि य वत्थाणि य आभरणाणि य गेण्हइ २ त्ता ताए उक्किट्ठाए जाव अट्ठाहियं जाव पच्चप्पिणंति । तए णं से दिव्वे चक्करयणे अट्ठाहियाए महामहिमाए णिव्वत्ताए समाणीए जाव पञ्चत्थिमं दिसिं तिमिसगुहाभिमुहे पयाए यावि होत्था, तए णं से भरहे राया तं दिव्वं चक्करयणं जाव पञ्चत्थिमं दिसिं तिमिसगुहाभिमुहं पयायं पासइ २ त्ता हतुट्ठचित्त जाव तिमिसगुहाए अदूरसामंते दुवालसजोयणायामं णवजोयणविच्छिण्णं जाव कयमालस्स देवस्स अट्ठमभत्तं पगिण्हइ २ त्ता पोसहसालाए पोसहिए इव बंभयारी जाव क्यमालगं देवं मणसि करेमाणे २ चिट्ठइ, तए णं तस्स भरहस्स रण्णो अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि कयमालस्स देवस्स आसणं चलइ तहेव जाव वेयड्ढगिरिकुमारस्स णवरं पीइदाणं इत्थीरयणस्स तिलगचोद्दसं भंडालंकारं कडगाणि य जाव आभरणाणि य गेण्हइ २ त्ता ताए उकिट्ठाए जाव सकारेइ सम्माणेइ स० २ ता पडिविसज्जेइ जाव भोयणमंडवे, तहेव महामहिमा कयमालस्स पञ्चप्पिणंति ॥ ५१ ॥ तए णं से भरहे राया कयमालस्स० अठ्ठाहियाए महामहिमाए णिव्वत्ताए समाणीए सुसेणं सेणावई सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-गच्छाहि णं भो देवाणुप्पिया ! सिंधूए महाणईए पञ्चत्थिमिल्लं णिक्खुडं ससिंधुसागरगिरिमेरागं समविसमणिक्खुडाणि य ओअवेहि ओअवेत्ता अग्गाई वराइं रयणाई पडिच्छाहि अग्गाई० पडिच्छित्ता ममेयमाणत्तियं पञ्चप्पिणाहि, तए णं से सेणावई बलस्स णेया भरहे वासंमि विस्सुयजसे