SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 99
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चिलाती के अत्याचार Romania सुन्दरी कन्या को देखकर उसको जबर्दस्ती अपने महल मे बुलवा लना उसके लिये सामान्य बात है । न्यायासन पर बैठ कर भी वह केवल स्वार्थ बुद्धि से न्याय करता है । उसके पास कचन तथा कामिनी की धूस पहुंचाना कुछ अधिक कठिन नही है। शालिभद्र-अरे हा, तुमने अच्छी याद दिलाई। एक दिन जो मै राजमाता तिलकवती के यहा नित्य पाठ कर रहा था तो राज्यमाता समाट् से अपने आचरण सुधारने का अनुरोध कर रही थी, किन्तु उन्होने अपनी माता की भी अवज्ञा की थी। वर्षकार-उसकी अविनय यहा तक बढ जावेगी इसका मुझे पता नहीं था। आप लोग मेरे घनिष्ठ मित्र है, इसीसे मै आपको अपनी योजना में सम्मिलित करने को तैयार हूँ। बोलो, आप दोनो मेरा सब प्रकार से साथ दोगे या नहीं ? गुणभद्र-मै तो भाई आज्ञा पालन मे अपने प्राणो का भी उत्सर्ग कर दूगा। शालिभद्र-मेरी तो इन बातो से ऑखे खुल गई। मै भी तुम्हारा सब प्रकार से साथ देने को तथा तुम्हारी आज्ञा पालन करने को तैयार हूँ, फिर भले ही इस कार्य मे प्राणो का सकट क्यो न हो। वर्षकार-अपने निश्चय का साक्षी हम जल तथा अग्नि को बनावे । इस पर शालिभद्र तथा गुणभद्र ने हाथ मे जल लेकर तथा हवनकुण्ड का अग्नि की साक्षी करके यह शपथ ली___ "हम (शालिभद्र तथा गुणभद्र) दोनो इस बात की प्रतिज्ञा करते है कि मगध की राज्य-क्रान्ति के लिये वयस्य वर्षकार की आज्ञा का सब प्रकार से पालन करेगे, भले ही उसमे प्राणो का भी सकट क्यो न हो और उनकी प्रत्येक बात को गुप्त रखेगे।" इसके पश्चात् उन तीनो ने एक दूसरे का आलिंगन किया। तब वर्षकार बोला,-"अच्छा मित्रो, तो अब मै आप दोनो को अपनी राज्य-क्रान्ति की योजना बतलाता है जिसके अनुसार आप दोनो को कार्य करना है।" दोनों-हम सुनने को सहर्ष प्रस्तुत है। वर्षकार-उसके लिये मैने तीन चार निश्चय किये है। प्रथम तुमको उन &&
SR No.010589
Book TitleShrenik Bimbsr
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherRigal Book Depo
Publication Year1954
Total Pages288
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy