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________________ श्रेणिक बिम्बसार पांच सौ सैनिको की एक अगरक्षक सेना भी रखते थे, जिनका वेतन वह अपनी जेब से दिया करते थे । राजकुमार चिलाती की आयु बढने के साथ-साथ महाराज की चिन्ता भी अधिकाधिक बढती जाती थी, क्योकि अपने सभी पुत्रो के विरोध का सामना करने का उनको साहस नही था । अन्त में एक दिन उन्होने महामात्य कल्पक को बुलाकर उससे कहा "कल्पक | मुझे अपने उत्तराधिकार के सम्बन्ध मे बडी भारी चिन्ता है। उसको दूर करने का कुछ तो उपाय निकालो।" "उत्तराधिकार के सम्बन्ध में कैसी चिन्ता । क्या आप श्रेणिक बिम्बसार को अपने उत्तराधिकार के योग्य नही मानते । वह आपकी पटरानी इन्द्राणी देवी के गर्भ से उत्पन्न हुआ है।" ___"श्रेणिक की योग्यता मे तो कोई सन्देह नही। किन्तु मै वचनबद्ध होने के कारण उसे राज्य पद नही दे सकता।" "कैसा वचन महाराज | मुझे थोडा समझाकर कहे तो सम्भवत मै कुछ सहायता कर सकू।" "बात यह है कि तिलकवती के साथ विवाह करते समय मैने यह प्रतिज्ञा की थी कि उसके गर्भ से उत्पन्न होने वाला बालक ही मेरे बाद राज्य का उत्तराधिकारी बनेगा । प्रतिज्ञा करते समय मै समझता था कि मै अब वृद्ध हो गया हूँ, शायद तिलकवती के सन्तान ही न हो और यदि उसके सन्तान हुई भी तो सम्भव है कि वह कन्या ही हो, किन्तु उसके तो विवाह के एक वर्ष बाद ही पुत्र उत्पन्न हो गया। अब मै विषयो से उपरत हो चुका हूँ। मेरी इच्छा है कि तिलकवती के पुत्र को किसी प्रकार राज्यपद देकर स्वय वन में जाकर अपना शेष जीवन तपस्या करने मे व्यतीत करूं। अतएव अब तुम यह बतलाओ कि मेरी प्रतिज्ञा की पूर्ति किस प्रकार हो सकती है, क्योकि उसको राज्य दे देने से मेरे सभी पुत्र विद्रोही बन सकते है । तुम कोई ऐसी युक्ति निकालो कि बिना झगडे-झझट के मै चिलाती को मगध का राज्य दे सकू ।" ___ कल्पक-मेरे विचार मे तो महाराज, आपको सब पुत्रों की अपेक्षा अपने केवल एक पुत्र का ही विरोध सहन करना पड़ेगा। यदि आपको किसी प्रकार
SR No.010589
Book TitleShrenik Bimbsr
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherRigal Book Depo
Publication Year1954
Total Pages288
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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