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लिखा है कि यह युद्ध इतना भयंकर था कि इसमे अजातशत्रु ने 'महाशिलाकण्टक' तथा 'रथमूसल' जैसे भयकर अस्त्रो का भी प्रयोग किया था।
इसके बाद अजातशत्रु के बीस वर्ष के जीवन काल में कोई उल्लेखनीय घटना नही मिलती। ३४ वर्ष तक राज्य करने के उपरान्त अजातशत्रु का स्वर्गवास ईसापूर्व ४६८ मे हुआ।
दर्शक (ईसापूर्व ४९८ से ४६७ तक)-अजातशत्रु के उत्तराधिकारी के सबध मे जैन, बौद्ध तथा पुराण ग्रन्थो मे कुछ मतभेद है। कुछ तो उसका बेटा दर्शक को तथा कुछ अज उदायी को मानते है। किन्तु ऐसा जान पडता है कि दर्शक के समय कोई राजनीतिक घटना न होने से इतिहास श्रृङ्खला मे उसके नाम की उपेक्षा की गई है। वैसे दर्शक ने ३१ वर्ष तक राज्य किया।
अज उदायी (ईसापूर्व ४६७ से ईसापूर्व ४४४ तक)-बौद्ध ग्रन्थ महावश के अनुसार अज उदायी ने भी अपने पिता को मारकर सिहासन' प्राप्त किया भा, किन्तु इस घटना का समर्थन किसी अन्य आधार से नही होता। अज खदायी के जीवन मे दो बाते उल्लेखनीय थी। इनमे प्रथम पाटली-पुत्र का निर्माण तथा दूसरी अवन्ति का पराभव थी। अज उदायी भी अजातशत्रु के समान विजेता था। ___ अजातशत्रु के समय मगध की राजधानी चम्पा तथा राजगृह थी। उसने कोशल को जीतकर अवन्ति का मुकाबला किया और वृजिसघ के साथ-साथ मल्लजनपद तथा काशी जनपद को भी अपने राज्य मे मिलाया। अन्त मे अज उदायी ने अपने राज्य के द्वितीय वर्ष मे अवन्ति को भी जीतकर उसे केन्द्रीय भारत की एकमात्र प्रमुख शक्ति बना दिया।
उदायी के समय तक मगध साम्राज्य इतना बड़ा हो गया था कि उसकी राजधानी चम्पा या राजगृह साम्राज्य के केन्द्र से बहुत दूर पडती थी। यद्यपि वज्जिसंघ पर अधिकार कर लिया गया था, किन्तु उसमे विद्रोही तत्त्वो की अब भी कमी नही थी । अतएव उसको भली प्रकार वश में रखने के लिये एक ऐसी राजधानी की आवश्यकता थी जो वज्जी जनपद से अधिक दूर न हो। इसलिये बहुत सोच-विचार के बाद पाटलीनभि नामक स्थान पर पाटलीपुत्र नामक नई राजधानी बनाई गई। उसने २३ वर्ष तक राज्य किया।