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________________ श्रेणिक बिम्बसार कर उसके अनेक गुप्त मार्गों का पता लगा लिया है। , इस पर जम्बूकुमार बहुत ही प्रसन्न हो गया और बोला "अच्छा, महामात्य | तब तो आप हमारी सारी सेना से भी अधिक कार्य अब तक कर चुके है। महामात्य-इसलिये हम चापा दुर्ग पर कल प्रात काल रक्त की एक भी बू द बहाये विना अधिकार कर लेंगे। जम्बूकुमार-तब तो कल दुर्ग पर अधिकार करना अत्यन्त सुगम है। आप कल के लिये सब को काम बाट दे। -महामात्य-दुर्ग मे तीन गुप्त मार्ग है, जिनमे से एक राजसभा मे, दूसरा अन्त.पुर मे तथा तीसरा प्रधान द्वार पर खुलता है। युवराज दो सहल सैनिक लेकर आज रात को तीसरे पहर के प्रारभ मे अन्त पुर के गुप्त मार्ग से प्रवेश करेंगे। शेष दोनो मार्गों में एक-एक सहस्र सैनिक प्रवेश करके अपने-अपने स्थान पर गुप्त मार्ग के अन्दर रहते हुए सकेत शब्द की प्रतीक्षा करेगे। जब युवराज दृढवर्मा को बदी बना लेंगे तो एक तुरही का शब्द करने की व्यवस्था करेंगे। इस शब्द के सुनते ही गुप्तवेषी दो सहस्र सैनिको का नायक अश्वजित् प्रधान द्वार को खोल देगा तथा शेष दोनो मार्गों के सैनिक भी अपने-अपने सुरग मार्ग से निकल कर राजसभा तथा दुर्ग द्वार पर अधिकार कर लेगे। प्रधान द्वार के खुलते ही तुम अपनी सेना लेकर एकदम नगर के अन्दर घुसकर सारे नगर पर अधिकार कर लेना। जम्बूकुमार-यह तो आप्टकी बड़ी सुन्दर योजना है महामात्य ! तब तो हम लोम प्राचीर पर आक्रमण करने के लिये व्यर्थ ही घबरा रहे थे। महामात्य-अच्छा, अब आप लोग थोडा विश्राम कर ले। जम्बूकुमार-हा, अब तो यही उचित होगा। ' यह कहकर जम्बूकुमार, अभयकुमार तथा महामात्य वर्षकार तीनों ही अपने-अपने शिविर में चले गये। इस समय लगभग एक पहर रात्रि गई थी। एक पहर रात्रि और व्यतीत होने पर चार सहल सैनिको ने प्राचीर के गुप्त मार्गों के द्वारा दुर्ग में प्रवेश
SR No.010589
Book TitleShrenik Bimbsr
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherRigal Book Depo
Publication Year1954
Total Pages288
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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