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मार दिया था । भट्टिय उपश्रेणिक के बाद उसका पुत्र चिलाती गद्दी पर बैठा । किन्तु सेनाओ ने उसके शासन को सहन न कर उसके ज्येष्ठ भ्राता श्रेणिक बिम्बसार को निर्वासित जीवन से वापिस बुलाकर मगध के राजसिंहासन पर बिठलाया । ___ वास्तव में इस समय मगध मे आर्यभिन्न सैनिक श्रेणियो की प्रबलता थी। उनके नेता मगध के सिंहासन को गेद के समान उछालते रहते थे। किन्तु बिम्बसार उनके वास्तविक नेताओ मे से था। वह बहुत शक्तिशाली तथा महत्त्वाकाक्षी राजा था। किन्तु उन दिनो अन्य भी कई शक्तिशाली और महत्त्वाकाक्षी राजा थे। ___कोशल-नरेश प्रसेनजित् का पिता महाकोशल बहुत महत्त्वाकाक्षी था। उसने ईसा पूर्व ६७५ मे काशी पर आक्रमण किया किन्तु इस आक्रमण में उसको पराजित होना पडा । बाद मे महाकोशल ने इसके पचास वर्ष बाद ईसा पूर्व ६२५ मे काशी को पराजित करके अपने राज में मिला लिया। प्रसेनजित् ने अपने पिता के दिग्विजय कार्य को बराबर जारी रखा। वह एक कूटनीतिकुशल शासक था। उसने सोचा कि शक्तिशाली मगध राज्य के विरोध मे रहकर दिग्विजय कार्य को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। अत उसने मगध के राजा बिम्बसार के साथ अपनी बहिन कोशलदेवी उपनाम क्षेमा का विवाह कर दिया । इस विवाह के दहेज़ मे प्रसेनजित् ने अपनी बहिन के 'नहान चुन्न मूल्य' के रूप मे काशी जनपद का एक ऐसा प्रदेश विम्बसार को दिया, जिसकी आय एक लाख वार्षिक थी। कोशल के साथ वैवाहिक सम्बन्ध हो जाने से मगध और कोशल दोनो की मित्रता हो गई और उन दोनो को एक दूसरे के अपने ऊपर आक्रमण का भय न रहा और प्रसेनजित् का पूर्व की ओर साम्राज्यविस्तार का मार्ग एकदम साफ हो गया।
राजा बिम्बसार ईसा पूर्व ५८४ मे पन्द्रह वर्ष की आयु मे गद्दी पर बैठा था। उसने ईसा पूर्व ५३२ तक ५२ वर्ष राज्य किया। गद्दी पर बैठने से पूर्व ही उसका विवाह वेरणपद्म नगर के सेठ इन्द्रदत्त की पुत्री नन्दश्री के साथ हो चुका था, जिससे उसको अभयकुमार जैसा प्रतिभाशाली पुत्र उत्पन्न हुआ था। राजगद्दी पर बैठने के बाद उसने कोशल राजकुमारी के साथ विवाह करके अपनी उच्चकोटि की राजनीतिज्ञता का परिचय दिया।