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अभयकुमार का अन्वेषण सम्राट् न जैसा पेठा मागा था वैसा ही उनको मिल गया, पेठे को देखकर महाराज बडे सोच मे पड गये । वह सोचते लगे
"यह बात क्या है ? क्या नन्दिग्राम के ब्राह्मण वास्तव में इतने बुद्धिमान है ? अथवा उनके पास कोई और बुद्धिमान् पुरुष रहता है ? नन्दिग्राम के ब्राह्मणो मे इतना पाडित्य किसी प्रकार नही हो सकता, क्योकि जब से उन लोगो को राज्य की ओर से स्थिर आजीविका मिली है, तब से वह लोग आलसी तथा अज्ञानी हो गये है। उनकी समझ मे तो साधारण बात भी नहीं आती फिर मेरे कठिन प्रश्नो को तो भला वह किस प्रकार सुलझा सकते ये? मैने नन्दिनाम के ब्राह्मणो को जो-जो काम, 'सौपे उन सबका उत्तर मुझे अत्यन्त बुद्धिमत्तापूर्वक मिला है। इसलिये निश्चय ही नन्दिग्राम में कोई असाधारण बुद्धि वाला अन्य पुरुष है । जिस पाडित्य से मेरी बातो का उत्तर दिया गया है, वह पाडित्य देवो मे भी दुर्लभ है। नदिग्राम के ब्राह्मलो मे यह बुद्धिबल किसी प्रकार भी नही हो सकता । अच्छा, मै नविग्राम कुछ व्यक्तियो को भंजकर उस बुद्धिमान् व्यक्ति का पता चलाऊ ।"
महाराज ने यह सोचकर कुछ चतुर व्यक्तियो को बुला कर उनसे कहा• "आप लोग अभी नन्दिग्राम चले जावे । वहा आप गुप्त रूप से इस बात का पता लगावे कि नन्दिग्राम के ब्राह्मण किसकी बुद्धि की सहायता लेकर हमारे प्रश्नो का उत्तर दिया करते है ।” ।
वह लोग राजा की आज्ञा पाकर सीधे नन्दिग्राम पहुँचे । उस समय दोपहर ढल चुका था । धप मे तेजी नहीं रही थी और अनेको लड़के नन्दिग्राम के बाहर के बगीचे मे खेल रहे थे । बगीचे मे आम, जामुन, अमरूद, अनार १३०