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________________ फिर उसकी बराबर बाट भी हमारी तो बुद्धि ही चकरा गई। नही छोडेगे ।" ब्राह्मणो के इस प्रकार दीन वचन सुनकर कुमार ने उनको सात्वना देते हुए कहा- " आप लोग इस तनिक सी बात के लिये इतना क्यो घबराते है ? मे अभी आपके द्वारा हाथी को तुलवाए देता हूँ ।" ब्राह्मणो को इस प्रकार आश्वासन देकर कुमार अभय गाँव को एक तलाब के किनारे गए । यह तालाब अत्यधिक लम्बा-चौडा होने के अतिरिक्त बहुत अधिक गहरा भी था । उसमे गाववालो के विहार के लिये एक नाव बराबर पडी रहती थी । उन्होने वहा अपने साथ का एक हाथी मगवाकर उसे नाव मे उतरवा दिया । नाव उस हाथी को लेकर तालाब के गहरे पानी में चली गई । नाव पानी के अन्दर हाथी के बोझ से जितनी डूबी, उसी स्थल पर उसमें निशान लगाकर हाथी को उसमे से निकाल लिया गया ।- बाद में नाव को जल श्रेणिक बिम्बसार कौन सा हो सकता है। ? इस प्रश्न को सुनकर जान पडता है, अब महाराज हम लोगो को मे फिर ले जाकर उसमें इतने पत्थर भरे गए, जब तक नाव उस निशान तक जल मे न डूब गई । अब उन पत्थरो को नाव से निकाल कर उनको बाटो से तोल कर उनका वजन मनों मे निकाल लिया गया। अब उन पत्थरो को उनकी वोल के परिमाण सहित सम्राट् के पास गिरिव्रज भेज दिया गया । नन्दिग्राम के ब्राह्मण की ओर से यह कहला दिया गया कि - "महाराज ! आपने जो हाथी का वजन मागा था सो यह लीजिये ।" महाराज श्रेणिक बिम्बसार को हाथी के वजन के पत्थरो को देखकर बडा आश्चर्य हुआ । अब की बार उन्होने खैर की एक लकडी हाथ मे लेकर सेवको से कहा ww १२२ " जाओ । इस लकडी को नन्दिग्राम के ब्राह्मणो को दे आओ। उनसे कहना कि महाराज ने यह लकडी भेजी है । वह बतलावे कि उसका कौन सा भाग अगला है और कौन सा पिछला । यह परीक्षा कर वह शीघ्र ही हमारे पास भेजे, नही तो उन्हें गाँव से निकाल दिया जायेगा ।" 1
SR No.010589
Book TitleShrenik Bimbsr
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherRigal Book Depo
Publication Year1954
Total Pages288
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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