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-~वीरस्य नमः
५- समाधि मरण शुरि
१-जीने की इच्छा न करता २-मरने की इच्छा न करना ३-मित्रों में अनुराग न करना ४-पूर्व भोंगे हुए सुख का अनुभव न करना ५-निदान न करना
५-असिचार
हरेक नत के ५-५ और सम्यादर्शन तथा समाधि मरण के ५
अतिचार होते हैं सब ७० है
५-ष्टिषामांग के भेद
१-परिकर्म
३-प्रयमानुयोग ४-पूर्वगत ५. चूमिका