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२-संसारी जीव
१-वस (वस नामा काके उदयसे द्वि, त्रि, चतुर् व पंचे.
न्द्रियों में जन्म लेनेवाले) २-स्थावर-( स्थावर नाम कर्म के उदय से पृथिवी आदि में
जन्म लेनेवाले) २-स्थावर
१-चादर. (पृथिवी आदिक से जो रुक जाय वा दूसरों को रोके)
२-सूक्ष्म. (जो पृथिवी आदिक से नस्वयं रुके और न दूसरों कोरोके) २-वनस्पति
१- प्रत्येक. ( एक शरीरका एकही स्वामी )
२-साधारण. (जिन जीवों का माहार, श्वास,आयु व काय एक हो) २-प्रत्येक बनस्पति
१-सप्रतिष्ठित प्रत्येक ( जिस प्रत्येक वनस्पति के आश्रय
भनेक साधारण वनस्पति शरीर हों) २-अप्रतिष्ठित प्रत्येक. (जिस प्रत्येक वनस्पति के आश्रय
कोई भी साधारण वनस्पति न हो) २.-निगोद
१-नित्यनिगोद-(जिसने निगोद के सिवाय दूसरी पर्याय न
तो पाई और न पावेगा) २-इतरनिगोद-(जो निगोद से निकलकर दूसरी पर्याय पाकर
फर निगोद में उत्पन्न हो.)