SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 59
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५६ ५ वनस्पतिकाय ( वनस्पति जिसका शरीर हो ) -कल्याणक १ -- गर्भ २ -- जन्म ३ -लए Gooty ४- ज्ञान ५---मोक्ष ५--ज्ञान १ - प्रतिज्ञान ( इन्द्रिय व मन की सहायता से पदार्थ का जानना) २ - श्रुतज्ञान ( मतिज्ञान से जानी हुई बात में विशेष जानना ) ३ - अवधिज्ञान (इन्द्रियों की सहायता) विना रूपी पदार्थ को जानना) ४ --- मनः पय यज्ञान ( मन की बात जानना ) ५ - केवलज्ञान ( लोकालोक की सर्व वस्तुओं की भूतभविष्यत वर्तमानपर्याय व गुण को एक साथ जानना ) ५ -- मिथ्यात्व - १ - - विपरीत ( उलटा श्रज्ञान ) २ -- एकान्त ( एक भत पकड़ना ) ३-- विनय ( खरा-खोटा बराबर समझना ) - संशय ( संदेह रखना ) - अज्ञान ( पदार्थ का नहीं जानना ) ----अजीव --
SR No.010583
Book TitleJain Dharmamrut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddhasen Jain Gpyaliya
PublisherSiddhasen Jain Gpyaliya
Publication Year
Total Pages78
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy