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२-परमाणु
६-निग्ध (चिकन)
२-रुक्ष ( रुखे ) २-औपशमिक भाव
५-उपगम सम्यक्त्त (सप्त प्रकृतियों के उपशम से )
२-उपशम चारित्र ( चारित्रमोहनीय के उपशम से) २-उपयोग
१-दर्शनोपयोग-~
२-ज्ञानोपयोग२-इन्द्री --
१-द्रव्यन्द्री-(निवृत्ति व उपकरण )
२-भावेन्द्री-( लब्धि व उपयोग) २-निवृत्ति
१-अंतरंग-( आत्मा के विशुद्धप्रदेशों की इंद्रियाकार रचना )
२-बाय-(इन्द्रियो के आकाररुप पुद्गल की रचना) २-उपकरण
५-अंतरंग-( नेत्र इन्द्रिय में कृष्ण-शुराम मंडल की तरह सव
इन्द्रियों में जो निवृत्ति का उपकारे करे ) २-याध-(नेत्रइन्द्रिय में पलक आदि की तरह जो निवृत्ति
का उपकार करे) ।