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७७. तोच्चाभगवनो अणगाराणं वा अंतिए इहमेगेसि णायं भवइ
एस खलु गंथे, एस खलु मोहे, एस खलु मारे, एस खलु णरए।
७८. इच्चत्यं गढिए लोए ।
७६. जमिणं विरूवरूवेहि सत्येहि अगणि-कम्न-समारंनेणं अगणि-सत्यं समारंभनाणे
अण्णे अणेगरूवे पाणे विहिंसइ ।
८०. से वेमि
अप्पेगे अंधमन्भे, अप्पेगे अंधमच्छ, अपेगे पायमन्मे, अप्पेगे पायमच्छे, अप्पेगे गुप्फमन्भे, अप्पेगे गुप्फमच्छे, अप्पेगे जंघमत्मे, अप्पेगे जंघमच्छ, अप्पेगे जाणुमन्भे, अप्पेगे जाणुमच्छे। अप्पेगे ऊरुमब्मे, अप्पेगे ऊरुमच्छे, अप्पेगे कडिमन्भे, अप्पेगे कडिमच्छे, अप्पेगे णाभिमन्भे, अप्पेगे णाभिमच्छ, अप्पेगे उयरमन्भे, अप्पेगे उयरमच्छ, अप्पेगे पासमन्भे, अप्पेगे पासमच्छे, अप्पेगे पिटुमन्भे, अप्पेगे पिटुमच्छे, अप्पेगे उरमध्भे, अप्पेगे उरमच्छे, अप्पेगे हिययमन्भे, अप्पेगे हिययमच्छे, अप्पेगे थणनमे अप्पेगे थणमच्छे, अप्पेगे खंघमन्भे, अप्पेगे खंधमच्छे, अप्पेगे बाहुमन्भे, अप्येगे वाहमच्छे, अप्पेगे हत्यमन्भेअप्पेगे हत्यमच्छे, अप्पेगे अंगुलिमभे, अप्पेगे अंगुलिमच्छे, अप्पेगे णहमन्मे, अप्पेगे णहमच्छे, अप्पो नीवमन्भे, अप्पेगे गीवमच्छे
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प्राचार मुत्त