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________________ 11454545454545454545454545454545 आन्दोलन तेज़ हो रहा है। अमेरिका में सलाद अत्यधिक लोकप्रिय हो रहा है, ब्रिटेन के दस लाख से अधिक लोग अब पूर्णतः शाकाहारी हैं और इस संख्या में दिनोंदिन वृद्धि हो रही है। घटना - परमवीर चक्र विजेता नायक यदुनाथ सिंह, जिन्होंने 1948 में कश्मीर के मोर्चे पर अपने अद्भुत पराक्रम व शौर्य से अकेले ही अनेकों पाकिस्तानी हमलावरों को मार गिराया था, वह पूर्णतया शाकाहारी थे। फौज में भी वे शाकाहारी भोजन करते थे, जबकि अन्य सभी लोग मांसाहारी भोजन करते थे। एक बार अंग्रेज अफसर ने उनका चालान किया और कहा कि यदि वह 31 शाकाहारी भोजन करेगा तो युद्ध कैसे लड़ेगा? इस पर यदुनाथ सिंह ने उत्तर दिया कि शाकाहारी भोजन अधिक पौष्टिक है। आप किन्हीं भी मांसाहारियों से मेरी कुश्ती करवा दें। यदि मैं जीता तो मुझे शाकाहारी भोजन ज्यादा दिया जाये और अगर में हारा तो मैं मांसाहारी भोजन ग्रहण करुंगा। कुश्ती में यदुनाथसिंह की जीत हुई और अंग्रेज अफसर ने न केवल उन्हें शाकाहारी भोजन की इजाजत दी अपितु शाकाहार की प्रशंसा की और कहा-"कि मैं भी अब शाकाहारी भोजन करुंगा।" कुछ शाकाहारी व्यक्ति भी अपने को आधुनिक दिखाने की होड़ में शाकाहारी पदार्थों से पशु-पक्षियों की आकृति के भोजन तैयार कराकर उन्हें मांसाहारियों की भांति इस प्रकार खाते हैं कि मानों वे भी मांसाहारी हैं। ऐसा शाकाहारी भोजन करना यद्यपि स्वास्थ्य की दृष्टि से बुरा नहीं है किन्तु भावनात्मक दृष्टि से उचित नहीं है क्योंकि हमारी भावना ही कर्मों को प्रेरित भी करती है। ऐसा शाकाहारी भोजन करते हुए भी भावना तो यही रहती है कि TE हम दूसरे प्राणी को काटकर खाने का आनंद ले रहे हैं। यह भावना हमें अहिंसा, नैतिकता, दया, प्रेम जैसे गुणों से दूर ले जाकर हिंसा, क्रूरता आदि की ओर आकर्षित करेगी और देर-सवेर से हमें नहीं तो आने वाली पीढ़ी को तो मांसाहारी बना ही देगी। अतः हमें नैतिक एवं आध्यत्मिक जीवन को सरक्षित रखने के लिये कभी भी मन में इस प्रकार की कल्पना से शाकाहारी भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिये। अण्डे शाकाहार हैं इस प्रकार की भ्रांति फैलायी जा रही है किन्तु यह ना प्रचार एकदम झूठा एवं सर्वथा निराधार है क्योंकि अंडे कभी भी पेड़ से पैदा नहीं होते और न ही उन्हें कहीं पर भी वनस्पति घी या तेल की तरह तैयार 1545454545454545454545454 प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ 539 SHRESTHETHERS
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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