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श्रीशान्तिसागरचरित्र । और आत्माके धर्मको प्रकाशित करनेवाले होगये । दीक्षां गृह्णाम्यहं भावमिति प्रदर्शयन् विभुः। पित्रा निषिद्धःस्वागारे स्थितोतः कतिचिदिनम्॥
अर्थ- तदनंतर सातगौड पाटीलने मैं अब दीक्षा लेता हूं ऐसे अपने भाव प्रगट किये परंतु पिताने निषेध कर दिया इसलिये वे थोडे दिनतक अपने घरमें ही बने रहे। सत्सु प्राणेषु धर्मश्च त्याज्यो नेत्युपदिश्य च । पिता स्वर्गेगतः श्रीमान् भीमगौडः सुधार्मिकः॥
__ अर्थ- परम धार्मिक श्रीमान पाटील भीमगौडने आने अंतिम समयमें अपने पुत्रोंको उपदेश दिया कि तुम लोग प्राण जानेपर भी अपने धर्मको मत छोडना इसप्रकार उपदेश देकर वे स्वर्गको चले गये। शोकाकुलान् स्वबंधूश्च मातरं शोकव्याकुलाम् । स्वोपदेशेन संबोध्य कृताः सर्वे निराकुलाः॥२५॥ आपृच्छय सर्वस्वजनान मित्रवर्गान स्वधार्मिकान। वैराग्यमूर्तिः सौम्यात्मा गुरुवासं गतस्तदा ॥२६
अर्थ- उससमय उनके सब भाई शोकसे व्याकुल हो रहे थे माता शोकसे व्याकुल हो रही थी, उन सबको सातगौड पाटीलने अपने श्रेष्ठ उपदेशसे समझाया और सबको निराकुल किया । तदनंतर अत्यंत शांत और वैराग्य की मूर्ति पाटील