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-RSARKAR बृहज्जैनवाणीसंग्रह
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३२३-राग देश ताल दादरा। * बारी उमर सैयां जोग धरो ना, जोग धरो ना ॥ टेक ॥ * व्याहन आये सब हर्षाये, तोरि कंकन सिवतियको बरोना ॥ । भावन भाये जिन कर्म खिपाये, समरथ हो तुम मौन धरोना पराजुल अर्ज करै सुन स्वामी, दोष कहां तुम हमसे लरोनाई भविजन प्रभु तुम पार किये हैं, धानतके तुम दुखको हरोना॥
३२४-राग खेमटा दादरा। * पहरा गये श्रीमुनिराज, हमको ज्ञान गजडा ॥ टेक ॥
ज्ञान गजडा सीताजीने पहरो, अग्निमें भई परवेश ॥ १ ॥ ज्ञान गजडा रानी सुभद्राने पहरो, चलनीमें भर लाई नीर ॥ ज्ञान गजडा गौतम स्वामीने पहरो, विपुलाचलके तीर ।
ज्ञान गजडा सेठ सुदर्शनने पहरो, सूली होगई विमान ॥ * ज्ञान गजडा राजा माणिकने पहरो, पायो अचलपुर थान ॥
३२५- दादरा कहरवा। प्रभुजीसे लग गई मोररी नजरिया ॥ टेक॥ नाहि टरत घडी पलर छिनर, छकितभई छविमाहिरेनजरिया कहरे कहूं उन सरस वंदनकी, निरख २ ललचायरे नजरिया॥ चाह न कुछ हगन लखनकी, सहज हजारी पाईरे नजरिया ॥
३२६-दादरा कहरवा ।। गिरनारी पै जाय लियो जोग, हमे तज नेमी पिया टेकll * तोरनसे रथ फेरि दियो झट, समझाय रहे सव.लोग ॥१॥
सुख साधनि माता परिजन हारी, त्याग दियो भव भोग। पूरन राजुल चरन नेमिके, आवागमन मिटे रोग ॥३॥ RAKS
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