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________________ anAANAAN.rnmAARAAAA ArrnAAAAAAAI ३६६ वृहज्जैनवाणीसंग्रह गमन, ६ औषधिविलेपन, ७ तांबूल, ८ पुष्पसुगन्ध, ९ नांच, १० गीतश्रवण, ११ स्नान, १२ ब्रह्मचर्य, १३ आभू*षण, १४ वस्त्र, १५ शैय्या, १६ औषध खानी, १७ घोड़ा । बैलादिककी सवारी * * १६६-बाईस परीषह। क्षुधापरीषह २ तृषा परीषह ३ शीतपरीपह ४ उष्णपरीषह ५ दंशमशकपरीषह ६ नग्नपरीपह ७ अरतिपरीषह * ८ स्त्रीपरीषह ९ चर्यापरीषह १० निषद्यापरीपह, ११ शय्या* परीषह १२ आक्रोशपरीषह, १३ वधपरीषह, १४ याच्या परी पह, १५ अलाभपरीपह, १६ रोगपरीषह १७ तृणस्पर्शपरीपह, ११८ मलपरीषह, १६ सत्कारपुरस्कार परीषह, २० प्रज्ञापरी-1 पह २१ अज्ञानपरीषह २२ अदर्शन परीपह। १६७-सप्त व्यसन दोहा-जूआ खेलन मांसमद, वेश्याविसन शिकार। ___चोरी पररमनीरमन, सातों व्यसन विसार ॥ १६८-बाईस अभक्ष्य। पांच उदम्बर-उदम्बर [गूलर], २ कटूम्बर ३ वड़फल, पीपलफल, ५ पाकर फल [ पिलखन फल ] * तीन मकार १ मध २ मांस, ३ मधु,। * नोट-प्रतिदिन जिन चीजोंकी जरूरत हो उसका प्रमाण कर * कि आज यह कलंगा शेषका प्रतिदिन त्याग करें। * 2 25-25 *
SR No.010576
Book TitleVruhhajain Vani Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitvirya Shastri
PublisherSharda Pustakalaya Calcutta
Publication Year1936
Total Pages410
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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