________________
ने जोनारा एहवा हे प्रभु ! श्रापेज नय अने , प्रमाणना मार्ग वडे दुनय मार्गने दूर को छे ते नयना विस्तारथी अनेक भेद छे (व्यासतो नेक विकल्पः) कारण के वस्तु अनंत धर्मात्मक छ भने ते अनंत धमेनुं निरूपण करवाने वचन मार्ग पण अनंत होय माटे जेटलां वचन तेटला सर्व नयवाद कहेवाय “जावझ्या वयण पहा, तावझ्या चेव हुन्ति नयवाया तो पण ते सर्वे नयवादोनो संग्रह करनारा एहवा सात अभिप्रायनी कल्पनाना द्वारे करीने सात नयो प्रतिपादन करेला छे तेनां नामनैगम, संग्रह, व्यवहार, रूजुसूत्र, शब्द, समभिरूढ भने एवंभूत. तेमांथी प्रथमना चार नयो द्रव्यार्थीक नयमां भने शब्दादि त्रण नयोने प्रर्यावार्थिकमां समाय छे ते त्रण भावनय छे. .. समासतो विभेदः द्रव्यार्थिकः पर्यायार्थिकः तत्र द्रार्थिक श्चतुर्धा नैगम, सग्रह, व्यव: हार, रुजुसूत्र भेदात् पर्यायार्थिकस्त्रिधा शब्द समभिरूढ एवंभूत भेदात्” श्री सिद्धसेन दिवाकर रूजुसूत्रनयने पर्यायायिकमा