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भूमिमां (अर्थात् जे भूमिमां अन्य कोइ पण द्रव्यंनो प्रवेश थइ शके तेम नथी तेथी बीलकुल संकडाश वगरनी परम रमणीय स्वतंत्र एवी श्रात्म सत्ताभूमिमा) निरंतर पोताना पर्यायोमा परिणमता पोताना गुण पर्यायो सहित सदा सत् लक्षणवंत होवाथी वर्तमान, आत्मीक भविचल अखंड लक्ष्मीनां स्वामी होवाथी भगवान, सामान्य केवलीअोमां इंद्र समान हे श्री बाहुस्वामी ! श्राप सर्व प्रदेशे सर्व काले सर्व भावे दयामयी छो अर्थात् आपना सर्व प्रदेशथी हिंसाना हेतुनो अभाव थयलो छे तथा हवे ते हेतुनो समूल क्षय होवाथी कोइ पण काले हिंसकभावे परिणमनार नथी तथा ज्ञानादि सर्वे धर्मो सर्वे नये पूर्ण पवित्र थया के तेथी कोइ पण भाव हिंसकभावे परिणमे तेम नथी. तेथी __ आप सर्वांगे सर्वोत्कृष्ठ अनुपम दयाना भंडार छो
तथा जे ज्ञानमां जीवाजीव सर्वे द्रव्यो पोताना त्रिकालवर्ती सर्वे पर्यायो सहित प्रत्यक्षपणे भासे छे उक्तंच तत्त्वार्थे- (सर्वे द्रव्य पर्यायसु केवलस्य) एहवा केवलज्ञानना निधान के अखूट खाण . छो. कारण के द्रव्य ते गुण पर्यायन भाजन छे, छत्तीपर्याय तथा सामथ्यपर्यायनो माधार छे तेथी