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संयम, सत्य, शौच, अकिंचन, अने ब्रह्मचर्य, एवा अपरिमित बलवाला सैन्य सज्ज कर्या अने ते सर्वे सैन्योनी प्रभुता ( सेनाधिपति पणु ) शुद्धोप योगरुप महा अजीत अने निडर शुभटने श्रापी एचा अत्यंत तीक्ष्ण बलवडे मोहराजानालश्करनो नाश को. क्षांति सैन्ये काध लश्कर नो, मादेवे मान लश्करनी, आर्यवे माया लश्कर नो, मुत्तिर लोभ-स्पृहा लश्कर नो, तपे पराकांक्षानी, सयमे हिमानो मत्य असत्यतानी, शोचे मलिनतानो, अकिंचने पर संग्रह बुद्धिनी अन ब्रह्मचर्ये पररमणनी एम मोहराजाना सर्व लश्करनो तथा परिवारको नाश करी मोहराजाने प्राण रहित कर्यो भने सादिननंत भांगे " तत्त्व सकल प्राग्भाव" पोतानो संपूर्ण राज्याधिकार प्रगट कर्यो ॥ ५ ॥
द्रव्य भाव अरि लेश, सकल निवारीरे साहिब अवतर्योजी । सहज स्वभाव विलास, भोगी उपभोगी रे ज्ञानगुणे भर्योजी ।।०६।
अर्थः-द्रव्य तथा भाव एवंने प्रकारना शत्रुनो समूल नाश करी आपशि वक्षेत्रना राजा बन्या छो