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जीवनचरित्र
दानवीर श्रीमान्त सेठ हलक्ष्मीचंदजी।
___इस अति उपयोगी पुस्तकके प्रकाशनमें द्रव्यकी सहायता करनेवाले भेलसा (राज्य ग्वालियर) निवासी दानवीर श्रीमन्त सेट लक्ष्मीचन्दजी साहब हैं। आप बड़े उदारचित्त, धर्मात्मा व जिनधर्मके नियमोंपर चलनेवाले है । आप नित्य दर्शन पूजन स्वाध्याय करते है। आपको अभक्ष्यका त्याग है । आप विलायती डाक्टरी दवा भी काममें नहीं लेते। परवार जैन जातिके आप रत्न हैं। आपका जन्म दीवानगंज ( भोपाल ) में वि० सं० १९५१में हुआ था । आपके पिताश्रीका नाम सेठ मन्नूलालजी था। आप बाल्यावस्थामें ही पुण्यशााली थे, यह बात आपके शरीरके अंगोंसे व चेष्टासे झलकती थी।
भेलसा सेठ शितावरायजी एक प्रतिष्ठित धनिक व्यवसायी व्यापारी थे और बडे धर्मात्मा थे। शितावरायजीकी धर्मपत्नी श्रीमती शक्करबाई भी बड़ी ही धर्मात्मा, सच्चरित्रा व नारी-रलोंमें प्रधान थीं । दानधर्ममें अग्रणी थीं। कर्मोदयसे आपके कोई संतान नहीं थी। तब सं० १९५६ में उक्त सेठ साहबने धर्मपत्नीकी सम्मतिपूर्वक निकट सम्बंधी लक्ष्मीचंदजीको दत्तक लेकर अपनी सम्पत्तिका अधिकारी बनाया । उक्त लक्ष्मीचन्दजीने साधारण विद्याभ्यास किया, व धर्माचरणमें निरत रहकर अपने व्यापारको अल्पवयमें ही सम्हाल लिया।