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भूमिका।
बहुधा हाईस्कूल और कालेजके छात्रोंको धार्मिक ज्ञान नहीं होता है इसलिये वे नास्तिक भावके बन जाते है । यही दशा जैन छात्रोंकी भी है, अतएव जैन छात्रोंको सुगमतामे जैन धर्मकी रुचि करानेके लिये प्रश्नोत्तर रूपमें यह पुस्तक लिखी गई है। इसको ध्यानमे पढनेसे एक बुद्धिमान छात्रको जैन धर्मका ज्ञान होजायगा । तथा अन्य धर्मोसे जैन धर्म किन बातोंमें मिलता है यह भी जान लिया जायगा। स्कूल, कालेज और बोर्डिंगोंमें इसके प्रचारकी जरूरत है। जो विशेष जैन धर्मका ज्ञान प्राप्त करना चाहें वे नीचे लिखी हुई. पुस्तकें पढ़े:
(१) द्रव्यसंग्रह व बृहत् द्रव्यसंग्रह सार्थ 1) 1): (२) तत्वार्थसूत्र सार्थ), अर्थ प्रकाशिका, सर्वार्थसिद्ध टामा २), (३) तत्वार्थसार, (8) पुरुषार्थसिद्धयुपाय १।) (५। म्व'मा कार्तिकेयानुप्रेक्षा १), (८) गृहस्थ धर्म १५६), (९) जैनधर्म प्रमाण ॥), (१०) इष्टोपदेश १), (११) समाधिशतक - १०) (१३) पंचा स्तिकाय ३।4), (१४) प्रवचनसार ५), (१५) अष्टपाहड १||-), (१६) समयसार २॥), (१७) नियमसार २), ६१८) नयमावना २), (३०) गोम्मटसार सार्थ ५), (३१) गजवानि ३०), (३३) परमात्मप्रकाश ३), (३४) "जा गर्णच ) ३५) पंचाध्यायी ६)।
* मिलनेका पता-दिगम्बर जैन पुतिकला व
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