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जैनधर्म और हिंदू दर्शन।
[ २६९ तत्वज्ञानसे मोक्षको प्राप्त होता है । तथापि ईश्वरके समान स्वतंत्र नहीं होता है। (३) सांख्य दशन
गीताके अध्यायमें कुछ वर्णन सांख्यका आगया है तथापि, कुछ विशेष जाननेके लिये कहा जाता है कि सांख्यदर्शनके प्रवर्तक महर्षि कपिल होगाए है । सांख्य सूत्रसे विदित है "ज्ञानान्मुक्ति." ज्ञानसे मुक्ति होती है ( सांव्यसूत्र ३-२३ ) प्रकृति और पुरुषका भेद ज्ञान ही मुक्तिका कारण है । जैन सिद्धातमे भी कहा है कि जीव और अजीवका भेद ज्ञान हो मोक्षका कारण है।
सांख्यकारिकामें कहा है-- ___ " एवं तत्वाभ्यासान्नाऽस्मि न मे 'नाहमित्त्यपरिशेषम् । अविपर्याद्विशुद्धं केवलमुत्पद्यते ज्ञानम् ॥
भा०-पुरुष प्रकृतिसे भिन्न ऐसे तत्वके अभ्यास करनेसे निमल ज्ञान उत्पन्न होता है कि मैं प्रकृति नहीं हूं न प्रकृति मेरी है, न प्रकृति मुज रूप है, मैं प्रकृतिसे बिलकुल अलग निष्क्रिय ज्ञान रूप हूं।
सांख्यदर्शनमें नीचे लिखे २५ तत्व माने गए हैं
" सत्वरजस्तमसां साम्यावस्था प्रकृतिः । प्रकृतेर्महान्, महतो अहंकारः अहंकारात् पंचतन्मात्रारायुमिद्रियं तन्मात्रेभ्यः स्थूलभूतानि पुरुष इति पंचविशतिर्गणः । " ( सांख्य सूत्र १-६१)
भा०.(१) सत्व, रजस और तमोगुणकी साम्यावस्था रूप मूल प्रकृति, (२) उससे उत्पन्न महान् तत्व, (३) उससे उत्पन्न