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विद्यार्थी जैनधर्म शिक्षा। सकोच विस्तार करनेवाला मामके ममान जानने थे. यही जैनोंका विशेष सिद्धात है।
(३) अपने जिहाके लोभमे धर्मका लोप मन करो, अपने साथी प्राणियोकी हिंसा मत करो, रुधिर रेकर बसर मत करो।
(४) माम खाना हिंसाकारक है । इससे अपने शरीरको आ. चित्र मत करो, वृक्षास फलादि मिलने हे. दृध मिलता है। इस पृथ्वीपर बहुत अधिक पवित्र भोज्य पदार्थ है जो विना रुधिर वहाण मिल सक्ते है । जो मास खाते हैं वे पशुतुल्य है । बहुतसे पशु माग नहीं खाते है। घोडे, भेड. गाय भैम घासपर वसर करते है। पिथागुरुका जन्म सन् ई० से ५०० वर्ष पहले हुआ था, जब कि श्री महावीरस्वामीका जन्म सन ई० से ५९९ वर्ष पहले हुआ। महावीर स्वामीने ४२ वर्षकी आयुमे शिक्षा देना प्रारम्भ की तव पियागुरु ३३ वर्षके थे। इससे मालम पडता है कि पियागुरु बीस वर्षके अनुमानमें ही भारतमे आए होंगे और श्री पार्श्वनाथकी सप्रदायके आचार्योसे ही शिक्षा दीक्षा ली होगी। तथा वे यहा कई वर्पतक साधुपदमे रहे होंगे। बौद्ध सावु महापण्डित त्रिपिटकाचार्य राहुल साकृत्यायन द्वारा सपादित 'बुद्धचर्या हिंदी पुस्तकसे प्रगट है कि गौतमबुद्ध जब ७६-७७ वर्षके थे तब पावापुरीमे श्री महावीर भगवानका निर्वाण हुआ था अर्थात् गौतमबुद्ध जव ४ वर्षके थे तब श्री महावीर भगवानका जन्म हुआ था। श्री महावीरकी आयु ७२ वर्षकी थी। गौतमबुद्धने २९ वर्षकी आयुमे घर छोडा तव महावीर भगवान घर ही मे थे। ६ वर्षतक गौतम बुद्ध भिन्न भिन्न प्रकारका तप करने रहें । उसीके मव्यमे