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विद्यार्थी जैनधर्म शिक्षा। उ०-मैं समझता हूं कोई कल बिगड जाती है जिससे मानव मुर्दा होजाता है तब वह नहीं समझ सक्ता ।
प्र०-आपके हाथ, पग, मुख, वाल, नख, मास, चर्बी, रुधिर आदि किस वस्तुके बने हुए है।
उ०-जो कुछ हम खात पीत हवा लेने उससे बने है।।
प्र०-आप जो हवा लेते,पानी पीन, अन्नादि खाते, दूध पीते ये चीजें किस वस्तुसे बनी है ?
उ०-ये सब चीजें जरूर किन्हीं परमाणुओं (Atoms) से बनी है।
प्र०-ये परमाणु जड हे या चेतन क्या उनमे जाननेकी शक्ति है?
उ०-मै समझता हूं परमाणु जड है। हमारे सामने बहुतसी जड वस्तुएं दीखती है जैसे वाल, कंकड, पत्थर, काठ, टीन, सोना, चादी, लोहा ये सब जड है, ये कुछ समझ नहीं सक्ते। ये सब टुकड़े करनेपर टूटकर बहुत छोटे होसक्ते है।
प्र०-आप उनके टुकडे करते चले जावें, आखरी टुकड़ेको क्या कहेंगे ?
उ०-वस उसीको परमाणु कहते है।
प्र०-तब यह शरीर व उसके आंख, कान, नाक, जिहा, त्वचा आदि जड नहीं है क्या ?
उ०-ये भी सब जड है।
प्र०-तब बनाइये क्या जड त्वचा छूकर जानती है, क्या जड़ जवान चाखकर जानती है, क्या जड नाक सुंघकर जानती है, क्या जड़ आंख देखकर जानती है, क्या जड कान सुनकर जानता है ?