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चौबी० पूजन
.... अथ जयमाला छप्पय छंद। संग्रह || महाअर्घ-भये आप जिन देव जगत में सुख विस्तारे,तारे भव्य अनेक तिनोंके संकट टारे । टारे आठों ५३५ कर्म मोक्ष सुख तिन को भारी,भारी वृद्ध निहार लही में शर्ण तिहारी ॥चरणन को सिरनायहूं,
| दुःख दारिद्र संतापं हर । हर सकल कर्म छिन एक में, शांति जिनेश्वर शांति कर ॥१॥ ॥ दोहा-सारंग लक्षण चरण में, उन्नत धनु चालीस । हाटक वर्न शरीर दुति, नमूं शांति जगईश ॥२॥
... छंदभुजंग प्रयात-प्रभु आपने सर्व के फंद तोडे, गिनाऊं कछु, तिनो नाम थोडे। पडो अंबुधै बीच श्रीपाल आई। जपो नाम तेरो भएथे सहाई ॥३॥ धरो रायने सेठ को सूलिका पै, जपी आपके नाम की सार जाप । भये थे सहाई तबै देव आये,करी फूल वर्षा सु बिष्टर बनाये ॥४॥ तबै लाख के धामसबही प्रजारी, भयो पांडवों पै महा कष्ट भारी । जवै नाम तेरे तनी टेर कीनी, करी थी विदुर ने वही राह दीनी ॥ ५॥ हरी द्रोपदी धातुकी खंड माही, तुम्हीं हो सहाई भलो और नांही। लियो नाम | तेरो भलो शील पालो, बचाई तहां ते सबै दुःख टालो ॥६॥ जबै जानकी राम ने जो निकारी, धरे गर्भ को भार उद्यान डोरी। रटो नाम तेरो सबै सौख्यदाई, करी दूर पीडा सु छिन्ना लगाई ॥७॥ विखल सात सेवें करें तस्कराई, सुअंजन्न त्यारो घडी ना लगाई। सहे अंजना चंदना दुःख जेते, गये भाग सारे जरा नाम लेते ॥८॥ घड़े बीच में सास ने नाग डारो, भलो नाम तेरोजु सोमा संभारो॥