SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 96
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चौबी० - पूजन संपर ५३४. . पूजे रोग शोक दुख दारिद जाय ॥ ॐ ह्रीं श्री शांतिनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय अनर्घपद प्राप्तये अर्घ निर्वपामीति स्वाहा ॥ (अथ पंच कल्याणक) छन्द उपगीत। गर्भ-भाद्रव सप्तमिश्यामा,सवार्थत्याग नागपुर आये। माता ऐरा नामा, में पूजंध्याऊं अर्घ शुभलाये॥ - ॐ ह्रीं श्रीशांतिनाथ जिनेंद्राय भादपदकृष्ण सप्तनी गर्भ कल्याणप्राप्ताय अर्घ निर्वपामीतिस्वाहा॥ जन्म-जन्मे तीरथवर जेठ असित चतर्दशी सोहै। हरिगण नावें माथ, में पूजू शांति चरण युग जोहे ॥ ___ ॐ ह्रीं श्री शांतिनाथ जिनेंद्राय ज्येष्ठ कृष्ण चतुर्दशीजन्म कल्याणप्राप्ताय अनिर्वयामीति स्वाहा॥ तप-चौदस जेठ अंधारी,काननमें जाय योग प्रभुदीन्हा। नवनिधिरत्न सुलारी,मैं बंदूआत्मसार ॐ ह्रीं श्रीशांतिनाथ जिनेंद्राय ज्येष्ठ कृष्णचतुर्दशी तपः कल्याणप्राप्ताय .. ज्ञान-पोष दसें उजियारा,अरघात ज्ञानभानजिन पाय । डों ह्रीं श्री शांतिनाथ जिनेंद्रायप निर्वाण-सम्मेद
SR No.010573
Book TitleVarttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBakhtavarsinh
PublisherBakhtavarsinh
Publication Year
Total Pages245
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy