________________
चौबी० | चन्दन-गोसीरादि घसाय, रल कटोरी में भरूं । करम दाय मिटजाय, सुमति जिनेश्वर पद जजें ॥ पूजन . ॐ ह्रीं श्रीसुमतिनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय संग्रह - ... संसारा ताप रोग विनाशनाय चन्दनं निर्वपामीति स्वाहा। ४६८ अक्षत-अनियारे दुतिचंद, अक्षत पुंज रचाइये। दीजे पद सुख कंद, सुमतिनाथ जिनराय जी ॥ . . ॐ ह्रीं श्रीसुमतिनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय अक्षय
पद प्राप्तये अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा। पुष्प-सुमन अनेक प्रकार, सौरभते अलि गणभ्रमें । मार सुभटको टार,सुमति सुमति दायक सुधी।
ॐ ह्रीं श्रीसुमतिनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय काम
- वाण विनाशनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा। नैवेद्य-लायो सद पकवान, घृत पूरित रस में बने । करो क्षुधा की हान, सुमतिनाथ महाराज जी॥
ॐ ह्रीं श्रीसुमतिनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय क्षुधा . : ... ..रोग विनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा। दीप-घृत सनेह तें जोय, दीपक कंचन पात्र में । मोह अंध को खोय, सुमति जिनेश्वर ज्ञान दो ।
___ ॐ ह्रीं श्रीसुमतिनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय " मोहांधकार विनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा।