________________
चौबी.
पजन
संग्रह
२२ अथ श्रीनेमिनाथजिन पूजा प्रारभ्यते।
(बखतावरसिंहकृत) कवित्त। स्थापना-ध्यान रूप हय पर सवार है रतनत्रय सिर ढोय संभार ।
दशधा धर्म कियो बक्तर शुभ संवर अमिकी तीक्षण धार ॥ __ अनुभवने जाकर गह लीनों कर्म अरी लीने ललकार। . शिव देव्या नंदन नेमीश्वर थापन करूं मंत्र उच्चार ॥ · ॐ ह्रीं श्रीनेमिनाथ जिनेन्द्र अत्रावतराऽवतर संवोषट् आह्वाननम् ।
ॐ ह्रीं श्रीनेमिनाथ जिनेन्द्र अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठाठः स्थापनम्। ॐ ह्रीं श्रीनेमिनाथ जिनेन्द्र अत्र मम संन्निहितो भवभव वषट् संन्निधोकरणम् ।
- अथ अष्टक । बसंत तिलका छंद। जल-क्षीरोदधि परम नीर मंगाय लीनो । चामीर कुंभ भर चरण सुधार दीनो ॥ श्रीनेमिनाथ तुम बाल
सुब्रह्मचारी । पूजू पदार युग कंज प्रमाद टारी॥ ॐ ह्रीं श्रीनेमिनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप,ज्ञान,निर्वाण पंचकल्याणप्राप्ताय जना . . . . .
o