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चौबी०. शशि वारे। ॐ ह्रीं श्रीअजितनाथ जिनेंद्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण पूजन: :: प्राप्ताय अनर्घ पद प्राप्तये अर्घ निर्वपामीति ॥
... अथ पंचकल्याणक। छंद द्रुत विलंबित । ४५३ गर्भ-जेठ कारी मावस जानियें, गर्भ मंगलतादिन मानियें । मात विजया सेव हि सर सबै, हम जजें
इत अर्थ लिये अबै। ॐ ह्रीं श्री अजितनाथ जिनेंद्राय जेष्ठ कृष्ण अमावस्या गर्भ कल्याण ___ प्राप्ताय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा॥ जन्म-शुकल माघ दस दिन आइयो, अजित जिनने जन्म सुपाइयो । हरि जजे गिरि मेरु न्हलायके, हम जजें नित मंगल गायके। ॐ ह्रीं श्री अजितनाथ जिनेंद्राय माघ शुक्ल दशमी जन्म,
कल्याण प्राप्ताय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा ॥ तप-श्वेत नवमी माघ महान है, विपिन माहि धरो शुभ ध्यान है। निजस्वरूप विषे लव लायके,यजत हैं हम अर्घ चढायके। ॐ ह्रीं श्रीअजितनाथ जिनेंद्राय माघ शुक्ल नवमी तप कल्याण प्राप्ताय
अर्घ निर्वपामीति स्वाहा। ज्ञान-पौष शुकल ग्यारस तिथ के दिनो, ज्ञान पंचम उपनो तुम जिना। समवस रच्यो धन देव ही, ... हम जजें नुति करके सेव ही। ॐ ह्रीं श्रीअजिनाथ जिनेंद्राय पौष शुक्ल एकादशी ज्ञान कल्याण
प्राप्ताय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा ॥