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चौबी० पूजन | संग्रह
- २ अथ श्रीअजितनाथजिन पूजा प्रारभ्यते।
- (बखतावर सिंह कृत) गीता छंद। स्थापना-शुभ वैजयंतविमान त्याग सुनगर कौशल्यापुरी,
मात जिनकी जान विजिया सेवती नित सुरसुरी। आयु पूरव लाख बहत्तर करी चिन्ह पिछानिये,
अजित जिनवर तिष्ठये मुझदास अपनो जानिये ॥ डों ह्रीं श्री अजितनाथ जिनेन्द्र अत्रावतरावतर संवौषट् आह्वाननम् । ॐ ह्रीं श्री अजितनाथ जिनेंद्र अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम्। ॐ ह्रीं श्री अजितनाथ जिनेंद्र अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधीकरणम्।
अथ अष्टक । छन्द योगीरासा॥ .. जल-रत्न जडित भंगार मनोहर प्राशुक अंबु भरायो। कर्म तनी रज नाश करन को धार देत हरषायो। .. अजित र्जिनेश्वर कर्महनेश्वर पूजत सुरगण सारे, पदपंकज की नषदुतिऊपर कोटिक रविशशिवारे।
ॐ ह्रीं श्री अजितनाथ जिनेंद्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय जन्म .. मृत्यु जरा रोग विनाशनाय जलं निवंपामीति स्वाहा ।। .. ..