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________________ महावीर इमसे भागने की बात नहीं कहने । वे व्यवहारिक दार्शनिक हैं। उन्होंने कहने से पहले अनुभव किया है । वे मनुष्य के संकट और ममम्या को पहचानते है । वे उमे अच्छे आचरण की एक आदर्श लिस्ट नहीं देने कि इनका अभ्याम कर । वे उन उल्टी शक्तियों, उल्टे अनुभवों कोही छ्ने है जो उसे जीवन-यात्रा में हो रहे हैं और जो चीज़ उमे जकड़ रही है, उसके जीवन-प्रवाह को रोके हुए है, उमे ही उसके पार उतरने की नाव बनाते है। अब उममें अविश्वास का मेरू खड़ा हो ही रहा है तो इमका प्रक्षालन (catharsis) कंमे हो? महावीर उममे यह नही कहते कि औगें पर अविवाम मन कर । वे कहते है कि एक क्षण को भी औरों पर विश्वाम मन कर। परन्तु इमे नुग्न दार्गनिक नल पर ले आने है। क्यों विश्वाम न कर ? क्योंकि मंमागे मनाय एक मज़ की नीद ले रहे है। उनका विश्वाम यदि आपडिन करंगा नो वह भी मो जायेगा। 52
SR No.010572
Book TitleVarddhaman Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirmal Kumar Jain
PublisherNirmalkumar Jain
Publication Year
Total Pages102
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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