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________________ कल्याण-यात्रा | ११ अन्य योग्य हाथों में सौंप दिया, शासन को आत्मानुशासन के साथ जोड़ दिया। एक प्रकार से सत्ता को विकेन्द्रित कर दिया। श्रमण-संघ की शिक्षा-दीक्षा, व्यवस्था एवं अनुशासन का दायित्व गणपरों को सोंपा गया। इन्द्रभूति आदि ग्यारह प्रमुख श्रमणों को गणधर' (संघीय व्यवस्था का संचालक) बनाया गया । इनके नौ गण बने, जिनके अधीन समस्त बमण समुदाय अनुशासित रहता था। श्रमणीसंघ का दायित्व आर्या चन्दनबाला के सुदृढ़ हाथों में दिया गया। यद्यपि आर्या चन्दना आयु की दृष्टि से बहुत छोटी रही होंगी, किन्तु जीवन के उत्थान-पतन, सुख-दुःख के विविध घटनाचक्रों में से उसे जिसप्रकार गुजरना पड़ा वसा प्रसंग लाखों में से किसी एक जीवन में आता होगा। कष्टों और परिस्थितियों की अग्नि ने उसके जीवन-स्वर्ण को खूब तपाया और इस अग्निताप ने उसके जीवन में उस दिव्य कान्ति और आभा का नव निखार भर दिया कि वय की लघुता गौण हो गई और अनुभवों की ज्येष्ठता ने उसे श्रेष्ठता के उच्च पद पर आसीन कर दिया। गुणज्येष्ठता भगवान महावीर की संघ-व्यवस्था, मूलतः आत्मानुशासन से संचालित थी। श्रमण-जीवन के नियम और मर्यादाओं के पालन में कोई किसी पर दबाव नहीं देता था। कोई कहीं गुप्तचारिता नहीं करता। समस्त श्रमण स्वयं ही जागरूक रहते, आत्म-संयत बन कर बड़ों के अनुशासन में शासित रहते । प्रमाद या भूल होने पर स्वयं की अन्तः-प्रेरणा से ही गुरु के निकट जा कर प्रायश्चित ग्रहण कर लेते ।। व्यवस्था की दृष्टि से भगवान महावीर के शासन में विनय-धर्म को सर्वोपरि स्थान दिया गया। विनय-धर्म के दो रूप थे-शुद्ध आचार और सहज अनुशासन । माचार का निर्दोष पालन, तथा सतत जागरूकता भी विनय कहलाता और बड़ों के प्रति सम्मान, आदर एवं सेवाभाव पूर्ण व्यवहार करना भी विनय का दूसरा अग था । वास्तव में विनय का आचरण करने से ही शील-सदाचार की प्राप्ति होती है, ऐसा भगवान का मुख्य उपदेश था। उनके धर्म का मूल भी विनय थाध-मस्त विणमो मूल।" प्रभु के धर्म शासन में पूर्व-जीवन (गृहस्थ-जीवन) की जाति, पद, अधिकार एवं आयु को गौणता थी, मुख्यता पी साधना-जीवन की । साधना-जीवन की दृष्टि
SR No.010569
Book TitleTirthankar Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Ratanmuni, Shreechand Surana
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1974
Total Pages308
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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