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________________ ११२ | तीर्थकर महावीर अपनी वाणी को रोक सकता है ? बस, महावीर ऋजुवालुका के तट पर-जिसकी पावन कोमल धूलि के कण-कण में ऋजुता का अमृतस्पर्श भर गया था, उस नदी की धारा की भांति ही स्वतन्त्रता का दिव्य संदेश लेकर जमिय ग्राम से विहार कर मध्यम पावा में पहुंच गये। कहते हैं महावीर की प्रथम वाणी, संपूर्ण सत्य को प्रथम अनुभूति, दिव्य ज्ञानरवि की प्रथम किरण तो ऋजुवालुका के तट पर ही प्रस्फुटित हो गई, जब उनका कंवल्य-महोत्सव करने असंख्य-असंख्य देव-देवेन्द्र वहाँ उपस्थित हो, उनकी वन्दनास्तवना कर उत्सव-उल्लास मना रहे थे। पर, देव जो ठहरे, सत्य एवं संयम की ग्राह्यता, पात्रता जो मानव-मानस में है, वह देव-मानस में कहां होगी? इसी सत्य को साकार देखते हुये यह माना गया है, कि विशाल देव-परिषद् उपस्थित होने पर भी भगवान महावीर की वह प्रथम वाणी अपनी फलोपलब्धि की दृष्टि से निष्फल रही। ज्ञान-गंगा का प्रथम प्रवाह मध्यमपावा नगरी उन दिनों धार्मिक गतिविधियों का केन्द्र बन रही थी। वैदिक संस्कृति और वैदिक विद्वानों की तो वह एक तीर्थ-स्थान ही होती जा रही थी। सोमिल नाम के एक धनाढ्य ब्राह्मण ने मध्यमपावा में विशाल महायज्ञ का आयोजन किया था । ऐसा महायज्ञ, जिसकी चर्चाएं न सिर्फ मगध के विद्वानों में थी, किन्तु सम्पूर्ण पूर्व भारत की वैदिक-मनीषा को आकृष्ट कर रही थीं। उत्तर भारत के बड़ेबड़े नगरों तक इस महायज्ञ की चर्चा थी और हजारों नर-नारी उसकी पवित्र ज्योति का दर्शन करने के लिये एकत्र हुए थे । सामान्य जन समूह की विशाल उपस्थिति का अनुमान तो इसीसे लग सकता है कि पूर्व भारत के ग्यारह दिग्गज विद्वान अपने ४४०० शिष्यों के साथ इस महायज्ञ में उपस्थित हुए थे। साधारण दर्शक पवालु जनता की उपस्थिति की गणना तो हो ही क्या सकती है। वंशाख शुक्ला एकादशी का मंगलमय प्रभात ! स्वतन्त्रता और समता की रक्ताभ रश्मियां बिखेरते हुए हजार-हजार सूर्यों से भी अधिक तेजस्वी एवं प्रभास्वर श्रमण महावीर मध्यमा के महासेन उद्यान में पधारे। देवताओं ने अपनी उत्कृष्ट १ इस पुगस महान् बाल्पयो (बछेरा) में यह एक बारपर्य माना गया है कि तीर्षकर की वाणी निष्फल पई हों।
SR No.010569
Book TitleTirthankar Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Ratanmuni, Shreechand Surana
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1974
Total Pages308
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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