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द्वितीय सर्ग जन्म महोत्सव दिव्य झलकती ही रहती है,
यह विशेषता है उनको ॥ इन चर्चा वार्तामों में भी,
गहित बात न है होती । ज्ञान धर्म के विषयों पर ही,
__चर्चा परम सरल होतो ॥ इन वार्ताओं में कुमारियाँ,
पहले जिज्ञासा करती। रानी वित्युत्पन्न बुद्धि से,
उनका समाधान करती ॥ कोई पूछा करती-'बोलो,
प्राणी क्यों नीचा होता ?' झट से रानी कह देती हैं,
'भङ्ग प्रतिज्ञा जो करता' ॥ कोई जटिल प्रश्न करती हैं,
है जग में ऐसा दिखताकोई जन तो मुंह रख कर भी,
वोल नहीं किञ्चित सकता' । इसका कारण रानी कहती,
पूर्व जन्म में जो करतेपर-निन्दा अपनी सु-प्रसंसा,
वे प्राणी गूगे होते ॥'