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तीर्थंकर भगवान महावीर बधाई देता है। प्रापकी प्रतिभा दिन-दिन प्रौढ़ हो यह मेरी कामना है।"
(पत्र ता. १२५६) राष्ट्र-कवि स्व.श्रीमान् मैथिलीशरणजी गुप्त, चिरगांव. "तीर्थकर भगवान महावीर' पर लिखकर मापने वो अपनी पदा प्रकट की है वह प्रशंसनीय है। कामना है भविष्य में प्राप भोर भी अच्छा लिख सकें।" (पत्र ता. १५३५९) बयोवृद्ध हिन्दी एवं जैन साहित्य-सेवक स्व० श्रीमान् नाथूराम जी प्रेमी, गजपंथ, म्हसरूल नासिक
"तीर्थकर भगवान महावीर' की प्रति जो प्रापने भेजी है वह यथा समय मिलगई थी, उसके पहुंचने का सूचना भी में न पापको दे सका । यहां प्राये हुए डेढ़ महीने से अधिक हो गया, परन्तु हालत नहीं सुधरी । चन फिर नहीं सकता। बहुत ही अशक्त हो गया हूं। पढ़ना लिखना भी नहीं हो सकता। पापके इस सत्प्रयत्न का अभिनन्दन ही कर सकता है। माशा है, भाप इस मार्ग में उत्तरोत्तर उन्नति करेंगे।"
पिन ता. २८५४६) प्राकृत, संस्कृत, हिन्दी के उद्भट विद्वान गहीरालाल भोजन, एम०ए०.एल-एल० बी०, डी. लिट्, गहरेक्टर प्राकृत जन विद्यापीठ, मुजफ्फरपुर (बिहार)
........"तीर्थकर भगवान महावीर' की प्रति का उपहार मिल गया जिसके लिए में बहुत कता है। भाई कामता प्रसाद जी की 'भगवान महावीर' पुस्तक द्वारा समाज में भगवान के जीवन चरित्र की मच्छी जानकारी हो गई । प्रब जो उनके सुपुत्र द्वारा हो उक्त परित्र का काव्य में स्पान्तर समाज के सम्सुख पाया है उससे पाठकों को भगवान के चरित्र की जानकारी के साथ-साथ रुचिकर, सरस, मनोहर काव्य-रस का भी प्रास्वादन मिलेगा। इस बहुमूल्य साहित्य सेवा के लिए में दोनों का हदय से अभिनन्दन करता हूं तषा भतीजे के नाते तुम्हें