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१.१६.] आत्रग्रह आदि के विषयभूत पदार्थों के भेद २९ आदि। परिमाण की अपेक्षा अल्प-थोड़ा भात या थोड़ो दाल आदि ।
३ बहुविध- संख्या या परिमाण प्रत्येक की अपेक्षा बहुत प्रकार के पदार्थ।
४ एकविध---संख्या या परिमाण प्रत्येक को अपेक्षा एक प्रकार के पदार्थ।
बहु तथा अल्प में प्रकार, किस्म या जाति विवक्षित नहीं रहती किन्तु बहुविध और एकविध में ये विवक्षित रहती हैं, यही इनमें अन्तर है।
५ क्षिप्र-पदार्थो का शीघ्रता पूर्वक ज्ञान या अतिवेग से गतिशील पदार्थ। पहले अर्थ में ज्ञान का धर्म पदार्थ में आरोपित किया गया है
और दूसरे अर्थ में गति क्रिया की अपेक्षा से पदार्थ को क्षिप्र मान लिया है।
६ अक्षित-क्षिा का उलटा।
७-अनिःसृता नहीं निकला हुआ । जो पदार्थ परा छिपा रहता है वह भी अनिःसृत कहलाता है और जिसका एक हिस्सा छिपा रहता है वह भी अनिःसृत कहलाता है।
८ निःसृत-अनिःसृत का उलटा।
९ अनुक्ता-अभिप्राय गत पदार्थ या जिसके विषय में कुछ नहीं कहा गया है वह पदार्थ ।
+ श्वेताम्बर ग्रन्थों में 'अनिश्रित ऐसा पाठ है। तदनुसार ऐसा अर्थ किया है कि लिंगअप्रमित अर्थात् हेतु द्वारा प्रसिद्ध वस्तु अनिश्रित कहलाती है और लिगप्रमित वस्तु निश्रित कहलाती है। देखो पं० सुखलालजी का तत्त्वार्थसूत्र पृ० २७ ।
श्वेताम्बर ग्रन्थों में इसकेस्थान में असन्दिग्ध और अनुक्त ऐसे दोनों पाठों का