________________
ॐ नमोऽहते भगवते * आचार्य गृद्धपिच्छ रचिततत्त्वार्थ सूत्र
विवेचन सहित
पहला अध्याय संसार में जितने जीव है वे सब अपना हित चाहते हैं पर यह पराधीनता से छुटकारा पाये बिना सध नहीं सकता। इससे स्वभावतः यह जिज्ञासा होती है कि क्या जीव स्वाधीन और पराधीन इस प्रकार दो भागों में बटे हुए हैं ? यदि हाँ तो सर्व प्रथम यह जान लेना अत्यन्त आवश्यक है कि वे कौन से साधन हैं जिनके प्राप्त होने पर जीव म्वाधीन हो सकता है। इस जिज्ञासा को ध्यान में रख कर सूत्रकार सर्व प्रथम स्वाधीन होने के साधनों का निर्देश करते हैं
सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्गः ॥१॥ सम्यग्दर्शन, सम्यज्ञान और सम्यक्चारित्र ये तीनों मिलकर मोक्ष ( स्वाधीनता ) के साधन हैं। __इस सूत्र में मोक्ष के साधनों का नामोल्लेख किया है। यद्यपि मोक्ष और उसके साधनों के स्वरूप और भेदों का विस्तार से कथन आगे किया जानेवाला है तथापि यहाँ संक्षेप में उनका विवेचन कर