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तत्वार्थ सूत्र
[.. ४७. संयम, श्रुत, प्रतिसेवना, तीर्थ, लिङ्ग, लेश्या, उपपाद और स्थान के भेद से इन निम्रन्थों का व्याख्यान करना चाहिये। __ पहले जो निम्रन्थों के पाँच भेद बतला आये हैं उन्हीं का इन पाठ बातों द्वारा विशेष विवरण जानने की प्रस्तुत सूत्र में सूचना को गई है। विवरण नीचे लिखे अनुसार हैपुलाक, वकुश और प्रतिसेवनाकुशील इनके सामायिक और छेदो
पस्थापना ये दो संयम होते हैं। कपायकुशोलों के
- यथाख्यात :. सिवा चार संयम होते हैं तथा शेष दो निम्रन्थों के एक यथाख्यात संयम होता है। उत्कृष्ट से पुलाक, वकुश और कुशील अभिन्नदसपूर्वधर तथा कषाय
कुशील और निर्ग्रन्थ चौदहपूर्वधर होते हैं। जघन्य २ श्रुत
से पुलाक आचार वस्तु के ज्ञाता, वकुश, कुशील और निर्ग्रन्थ आठ प्रवचन माता (पाँच समिति तीन गुप्ति) के ज्ञाता होते हैं। तथा स्नातक सर्वज्ञ होने से श्रुत रहित ही होते हैं।
पुलाक पाँच महाव्रत और रात्रिभोजन विरमण इन छहों में से किसी एक व्रत का दूसरे के दबाव या बलात्कार के कारण विराधना न करनेवाला होता है। वकुश दो प्रकार का होता है ---
" उपकरण वकुश और शरीरवकुश। उपकरणवकुश अच्छे अच्छे उपकरण चाहते हैं और मिले हुए उपकरणों की टीपटाप करते रहते हैं । शरीरबकुश शरीर का संस्कार करते रहते हैं। प्रतिसेवना कुशील मूलगुणों की तो यथावत् रक्षा करते हैं किन्तु उत्तरगुणों की कुछ विराधना कर बैठते हैं । शेष निग्रन्थ विराधना नहीं करते।
पाँचों प्रकार के निन्थ सभी तीर्थकरों के तीर्थकाल में होते हैं।