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५. २६-२७. ] क्रम से स्कन्ध और अणु की उत्पत्ति के कारण २३६
अणु भेद से ही उत्पन्न होता है।
स्कन्ध को उत्पत्ति तीन प्रकार से बतलाई है। कोई स्कन्ध संघात से अर्थात् जुदे जुदे द्रव्यों की एकत्व प्राप्ति से उत्पन्न होता है, कोई स्कन्ध भेद से अर्थात् खण्ड होने से उत्पन्न होता है और कोई स्कन्ध एक ही साथ हुए भेद और संघात दोनों से उत्पन्न होता है।
(१) संघात अर्थात् जुदे जुदे द्रव्यों की एकत्व प्राप्ति परमाणुओं परमागुओं की भी होती है, परमाणुओं और स्कन्धों की भी होती है और स्कंधों स्कंधों की भी। जब दो या दो से अधिक परमाणु मिलकर स्कंध बनता है तब वह परमाणुओं के संघातसे स्कन्ध की उत्पत्ति कहलाती है। जब परमाणु और स्कन्ध मिलकर दूसरा स्कन्ध बनता है तब परमाणुओं
और स्कन्ध के संघात से स्कन्ध की उत्पत्ति कहलाती है। तथा जब दो स्कन्धों के मिलने पर तीसरे स्कन्ध की उत्पत्ति होती है तब स्कन्धों. के संघात.से स्कन्ध की उत्पत्ति कहलाती है। जैसे दो परमाणुओं के. मिलने पर स्कन्ध बनता है वह संघातजन्य द्वथणुक स्कन्ध है। इसी प्रकार तीन, चार, संख्यात और अनन्त परमाणुओं के मिलने पर क्रम से संघातजन्य व्यणुक, चतुरणुक, संख्याताणुक, असंख्याताणुक और अनन्ताणुक स्कन्ध उत्पन्न होते हैं। ये परमाणुओं के संघात से उत्पन्न हुए स्कन्धों के उदाहरण हुए। इसी प्रकार परमाणु और स्कन्ध तथा स्कन्ध स्कन्ध के संघात से बने हुए स्कन्धों के उदाहरण जान लेना चाहिये।
(२) जब किसी बड़े स्कन्ध के टूटने से छोटे छोटे दो या दो से अधिक स्कन्ध उत्पन्न होते हैं तो वे भेदजन्य स्कन्ध कहलाते हैं। जैसे ईंट के तोड़ने पर दो या दो से अधिक टुकड़े होते हैं। ये सब स्कन्ध होते हुए भी भेदजन्य हैं, इसलिये भेद से भी स्कन्ध उत्पन्न होते हैं यह कहा है। ये भेदजन्य स्कन्ध भी द्वथणुक से लेकर अनन्ताणुक तक हो सकते हैं।