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५. २३-२४.] पुद्गल का लक्षण और उसकी पर्याय २३३ और गरम लोहे आदि में घन आदि के मारने पर फुलिगे निकलना अणुचटन है। _ तम अन्धकार का दूसरा नाम है। इसमें वस्तुएँ दिखाई नहीं देती हैं और यह प्रकाशका प्रतिपक्षी है। यतः यह प्रकाश पथ में सघन पुद्गलों के आ जाने से उत्पन्न होता है अतः पौद्गलिक है।
छाया शब्द का प्रयोग दो अर्थों में हुआ है। एक तो अपारदर्शक (Opaque ) पदार्थों के प्रकाश पथ में आ जाने से बननेवाली छायां जिसे अंग्रेजी में शैडो ( Shadow ) कहते हैं। आधुनिक विज्ञान के अनुसार इसका अन्तर्भाव तम में होता है। इसके सिवा छाया शब्द का. प्रयोग एक दूसरे अर्थ में भी हुआ है। इसप्रकार की छाया को विज्ञान के क्षेत्र में इमेज ( Iimage) कहते हैं। यह छाया पारदर्शक अण्वीक्षों ( Lenses) के प्रकाश पथ में आ जाने से अथवा दर्पणों में प्रकाश के परावर्तन ( reflection ) से बनती है। यह दो प्रकार की होती है। प्रथम प्रकार की छाया को वास्तविक प्रतिबिम्ब कहते हैं। ये प्रकाश रश्मियों के वस्तुतः मिलने से बनते हैं। इनमें प्रमाण, वर्ण इत्यादि में भी अन्तरं आ जाता है और ये विपर्यस्त ( Inverted) हो जाते हैं। दूसरी प्रकार की छाया को अवास्तविक प्रतिबिम्ब (Virtual ) कहते हैं। इसमें प्रकाश रश्मियाँ वस्तुतः नहीं मिलती हैं और न यह विपर्यास्त होती है। पहली प्रकार की छाया अधिकांश अण्वीक्षों के प्रकाश पथ में आ जाने से बनती है और दूसरी प्रकार की छाया अधिकांश समतल दर्पणों में प्रकाश रश्मियों के परावर्तन से बनती है। इनके निर्माण की प्रक्रिया से स्पष्ट है कि ये प्रकाश-ऊर्जा के ही रूपान्तर हैं। विज्ञान के क्षेत्र में एक अन्य प्रकार की छाया का भी निर्देश किया गया है। ये व्यतिकरण पट्टियाँ (Interference bands) हैं जो प्रकाश की विभिन्न दो कलायुक्त ( differing in fases ) तरंगों के व्यतिकरण से बनती हैं। वैज्ञानिक प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध हो