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________________ सर्वार्थ निका टीका ५२ जीवकी अपेक्षा गुणस्थानवत् है एकजीवकी अपेक्षा जघन्य भी उत्कृष्ट भी अंतर्मुहूर्त है । उपशांत कषायका नानाजीवकी अपेक्षा गुणस्थानवत् है । एकजीवकी अपेक्षा अंतर नाहीं है। च्यारि क्षपकश्रेणीवालनिका अर सयोगकेवलीनिका अर लेश्यारहितका गुणस्थानवत् अंतर है ॥ भव्यके अनुवादकरि भव्यविर्षे मिथ्यादृष्टि आदि अयोगकेवलीपर्यंतनिका गुणस्थानवत् अंतर है । अभव्यनिका नानासिदि जीवकी अपेक्षा एकजीवकी अपेक्षा अंतर नांही है ॥ का सम्यक्त्वके अनुवादकरि क्षायिक सम्यग्दृष्टिवि असंयतसम्यग्दृष्टीका नानाजीवकी अपेक्षा अंतर नांही है । एकजीव 12 प्रति जघन्य तौ अंतर्मुहूर्त है । उत्कृष्ट कोडिपूर्व कछु घाटि है। संयतासंयत अर प्रमत्त अप्रमत्त संयतनिका नानाजीवकी अपेक्षा अंतर नाहीं है , एकजीवकी अपेक्षा जघन्य तौ अंतर्मुहूर्त है । उत्कृष्ट तेतसि सागर कछु अधिक है । च्यारि उपशमश्रेणीवालेनिका नानाजीवकी अपेक्षा गुणस्थानवत् है । एकजीवकी अपेक्षा जघन्य तौ अंतर्मुहूर्त है । उत्कृष्ट तेतीस सागर कछु अधिक है । अवशेपनिका गुणस्थानवत् अंतर है । सायोपशमिक सम्यग्दृष्टीनिविपैं असंयतसम्यग्दृष्टीका नानाजीवकी अपेक्षा अंतर नाहीं है । एकजीवकी अपेक्षा जघन्य तौ अंतर्मुहूर्त है । उत्कृष्ट कोडिपूर्व देशोन है । संयतासंयतका नानाजीवकी अपेक्षा अंतर नांही है एकजीवकी अपेक्षा जघन्य तौ अंतर्मुहूर्त है उत्कृष्ट छ्यासठि सागरोपम देशोन है । प्रमत्त अप्रमत्त संयतका नानाजीवकी अपेक्षा अंतर नहीं है । एकजीवकी अपेक्षा जघन्य तौ अंतर्मुहूर्त है । उत्कृष्ट तेतीस सागर कछु अधिक है । औपशमिक सम्यग्दृष्टिनिवि असंयतसम्यग्दृष्टिका नानाजीवकी अपेक्षा जघन्य तौ एकसमय है उत्कृष्ट सात राति दिन है । एकजीवकी अपेक्षा जघन्य तौ अंतर्मुहूर्त है । उत्कृष्ट भी अंतर्मुहूर्त है । संयतासंयतका नानाजीवकी अपेक्षा जघन्य तौ एकसमय है। उत्कृष्ट चौदह राति दिनका अंतर है । एकजीवकी अपेक्षा जघन्य भी उत्कृष्ट भी अंतर्मुहूर्त है । प्रमत्त अप्रमत्त संयतका नानाजीवकी अपेक्षा जघन्य तौ एकसमय है । उत्कृष्ट पदरह राति दिन है । एकजीवकी अपेक्षा जघन्य भी उत्कृष्ट भी अंतर्मुहूर्त है। तीन उपशमश्रेणीवालेनिका नानाजीवकी अपेक्षा जघन्य तौ एकसमय है । उत्कृष्ट पृथक्त्ववर्पका अंतर है । एकजीवकी अपेक्षा जघन्य भी उत्कृष्ट भी अंतर्मुहूर्त है । उपशांतकपायका नानाजीवकी अपेक्षा गुणस्थानवत् है एकजीवकी अपेक्षा अंतर नांही है। सासादनसम्यग्दृष्टि मिथ्यादृष्टिका नानाजीवकी अपेक्षा जघन्य तौ एकसमय है । उत्कृष्ट पल्यकै असंख्यातवै भाग है । एकजीवकी अपेक्षा अंतर नाहीं है । मिथ्यादृष्टिका नानाजीवकी अपेक्षा अर एकजीवकी अपेक्षा अंतर नांही है ॥ संज्ञीके अनुवादकार संज्ञीनिवि मिथ्याष्टिका गुणस्थानवत् अंतर है । सासादनसम्यग्दृष्टि सम्यग्मिथ्याइष्टिका नाना
SR No.010558
Book TitleSarvarthasiddhi Vachanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaychand Pandit
PublisherShrutbhandar va Granthprakashan Samiti Faltan
Publication Year
Total Pages407
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size28 MB
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