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1. भरतक्षेत्रमैं होय पश्चिमदिशाके समुद्रकू गई । बहुरि उत्तरद्वारतें निकसी रोहितास्या सो हैमवतक्षेत्रमें होय पश्चिमकै समु- 2
द्रमै गई । बहुरि महापद्महदके दक्षिणद्वारतें निकसी रोहित् नाम नदी सो हैमवतक्षेत्रमैं होय पूर्वदिशाके समुद्रमै गई ।
बहुरि महापद्महदके उत्तरद्वारतें निकसी हरिकांता नाम नदी सो हरिक्षेत्रमैं होय पश्चिमके समुद्रकू गई । बहुरि तिगिंछ सर्वार्थ
ह्रदके दक्षिणद्वारतें निकसी हरित्नदी सो हरिक्षेत्रमैं होय पूर्वदिशाके समुद्रकं गई । बहुरि तिगिंछ हृदके उत्तरद्वारतें निकसी सिदि सीतोदा नदी सो विदेहक्षेत्रमें होय पश्चिमसमुद्रकू गई । बहुरि केसरी हुदके दक्षिणद्वारतें निकसी सीता नदी सो विदेह- निका टीका क्षेत्रमैं होय पूर्वके समुद्रकू गई । बहुरि केसरीहूदके उत्तर द्वारतें निकसी नरकांता नदी सो रम्यकक्षेत्रमें होय पश्चिमकै पान
१६० समुद्रमै गई । बहुरि महापुंडरीकहूदके दक्षिणके द्वारतें निकसी नारी नामा नदी सो रम्यकक्षेत्रमैं होय पूर्वके समुद्रमै गई ।। वहुरि महापुंडरीकहूदके उत्तर द्वारतें निकसी रूप्यकूला नामा नदी सो हैरण्यवतक्षेत्रमैं होय पश्चिमके समुद्रकू गई । बहुरि पुंडरीकदके दक्षिणद्वारतें निकसी जो सुवर्णकूला नामा नदी सो हैरण्यवत क्षेत्रमैं होय पूर्वके समुद्र• गई । वहुरि पुंडरीकडूदके पूर्वतोरणद्वारतें निकसी जो रक्ता नामा नदी सो ऐरावतक्षेत्रमैं होय पूर्वसमुद्रमै गई । बहुरि महापुंडरीकहूदके पश्चिम तोरणद्वारतें निकसी रक्तोदा नामा नदी सो ऐरावत क्षेत्रमें होय पश्चिम समुद्र में गई ॥ आगें, इनि नदीनिकी परिवारनदीनिके प्रतिपादनकै आर्थि सूत्र कहै हैं--
॥ चतुर्दशनदीसहस्रपरिवृता गङ्गासिन्ध्वादयो नद्यः ॥ २३ ॥ याका अर्थ-- इहां गंगा सिंधू आदिका ग्रहण कोन प्रयोजन है ? तहां कहै हैं, पूर्वोक्त नदीनिके ग्रहणकै अर्थि है। इहां ऐसी आशंका न करनी; जो, अनंतर सूत्रमें नदीनिका नाम हैही इहां फेरि न चाहिये । जाते व्याकरणमैं ऐसी । परिभापा है, जो अनंतरका विधि होय के प्रतिपेध होय । तहां कहिये अनंतर सूत्रते पश्चिमकू गई नदीनिकाही ग्रहण होय है । तातें गंगासिंध्वादिका ग्रहण युक्त है । इहां पूछे है कि, गंगादिकांही ग्रहण होऊ । ताळू कहिये, ऐसे कहै
पूर्वकू गई तिनिहीका ग्रहण आवै है । तातै सर्वही ग्रहणकै आर्थ गंगासिंध्वादिका ग्रहण किया है । बहुरि नदीका ग्रहण र है सो दूणा दूणाका संबंधके अर्थ है । गंगा चौदाहजार नदीनिकरि परिवारित है। तेसैही सिंधू भी चौदाहजार
नदीनिकरि परिवारित है। ऐसे अगली अगली नदी क्षेत्र क्षेत्र प्रति विदेहताई दणी दूणी जाननी । तातें परै आधि आधि घटती जाननी ॥
आगें, जे क्षेत्र कह्या तिनिकी चौडाई जाननेकै अर्थि सूत्र कहै है