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________________ २०३ और उनके सिद्धान्त। इसके पहले कि हम श्रीविठ्ठलनाथजी के चरित्र के विषय में लिखें हम 'विठ्ठल' इस शब्द की व्युपत्ति और उसका अर्थ कर देना योग्य समझते हैं जिस से कि पाठकों को आप के चरित्र को समझने में सहायता मिले। _ 'विठ्ठल' वाच्य शब्द में सम्प्रति तीन अक्षर हैं 'विद्' 'ठ' और 'ल' । 'विद्' अर्थात् विदा-ज्ञान के द्वारा, 'ठान्' अर्थात् शून्यान्-शून्यको-मूर्खता को-अज्ञान को, 'लाति' दूर करै अर्थात् जो ज्ञान के द्वारा अज्ञान को दूर करै और अपना दास बनाकर स्वीकार करै वह 'विठ्ठल' । वैष्णवों के अज्ञानांधकार को श्रीविठ्ठलनाथजी ने दूर किया है इस लिये आप 'यथा नाम तथा गुणः' हैं। ___ आपके प्रादुर्भाव का कथानक भी भक्तों की भावनाओं से संवलित है। कहा जाता है कि पंढरपुर के श्रीपांडुरङ्ग विठ्ठलनाथजी ने श्रीमहाप्रभुजी को एक बार आज्ञा की कि 'आप विवाह कीजिये मुझे आपके यहां प्रकट होना है' । तदनुसार श्रीमहाप्रभुजीने काशी के देवभट्टकी कन्या अक्काजी श्रीमहालक्ष्मी के साथ विवाह किया। आपके यहां. संवत् १५७० के आश्विन शुक्ल दशमी के दिन श्रीगोपीनाथजी का प्राकट्य हुआ था। ___ इस के दो वर्ष के अनन्तर अर्थात् १५७२ में ही काशी के पास आये हुए गांव चरणाद्रि-चुनार-में आप श्रीने
SR No.010555
Book TitleVallabhacharya aur Unke Siddhanta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVajranath Sharma
PublisherVajranath Sharma
Publication Year
Total Pages405
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size10 MB
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